बगावत कर फिल्मों में आई- नम्रता राव
चवन्नी के पाठकों के लिए यह लेख फिल्म सिनेमा से साभार लिया गया है। -गजेन्द्र सिंह भाटी मनीष शर्मा की फ़िल्म ‘ शुद्ध देसी रोमैंस ’ की एडीटर नम्रता राव इससे पहले उनके साथ ‘ बैंड बाजा बारात ’ और ‘ लेडीज वर्सेज रिकी बहल ’ कर चुकी हैं। दिल्ली की नम्रता ने आई.टी. की पढ़ाई और एन.डी.टी.वी. में नौकरी के बाद कोलकाता के सत्यजीत रे फ़िल्म एवं टेलीविज़न संस्थान का रुख़ किया। वहां से फ़िल्म संपादन सीखा। 2008 में दिबाकर बैनर्जी की फ़िल्म ‘ ओए लक्की! लक्की ओए! ’ से उन्होंने एडिटिंग की शुरुआत की। बाद में ‘ इश्किया ’, ‘ लव से-क्-स और धोखा ’, ‘ शंघाई ’ और ‘ जब तक है जान ’ एडिट कीं। ‘ कहानी ’ में सर्वश्रेष्ठ फिल्म संपादन के लिए उन्हें इस साल 60 वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया। फ़िल्म संपादन में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए यह साक्षात्कार उपयोगी हो सकता है। जिन्हें रुचि नहीं भी है और फ़िल्म बनाने की कला को चाव से देखते हैं वे भी पढ़ते हुए नया परिपेक्ष्य पाएंगे। प्रस्तुत है नम्रता राव से विस्तृत बातचीतः कहां जन्म हुआ ? बचपन कैसा था ? घर व आसपास...