फिल्म समीक्षा : आरक्षण
प्रभाकर आनंद का गांधीवादी संघ र्ष -अजय ब्रह्मात्मज
प्रकाश झा की आरक्षण कई कारणों से उल्लेखनीय फिल्म है। हिप हिप हुर्रे से लेकर राजनीति तक की यात्रा में प्रकाश झा की सोच और शैली में आए विक्षेप के अध्ययन में आरक्षण का महत्वपूर्ण पड़ाव होगा। यहां से प्रकाश झा का एक नई दिशा की ओर मुड़ेंगे। आरक्षण भारतीय समाज केएक ज्वलंत मुद्दे पर बनी मुख्यधारा की फिल्म है। इसने सामाजिक मुद्दों से उदासीन समाज और दर्शकों को झकझोर दिया। वे आरक्षण शब्द और उसके निहितार्थ से परिचित हुए हैं। अगर मीडिया में आरक्षण फिल्म के बहाने ठोस बहस आरंभ होती तो सोच-विचार को नए आयाम मिलते, लेकिन हम फिजूल विवादों में उलझ कर रह गए। बहरहाल, आरक्षण प्रकाश झा की पहली अहिंसात्मक फिल्म है। प्रभाकर आनंद का व्यक्तित्व गांधी से प्रभावित है। हालांकि फिल्म में कहीं भी गांधी का संदर्भ नहीं आया है और न उनकी तस्वीर दिखाई गई है, लेकिन प्रभाकर आनंद का संघर्ष गांधीवाद के करीब है। अपने सिद्धांतों पर अटल प्रभाकर आनंद स्वावलंबी योद्धा के रूप में उभरते हैं। क्या इसी वजह से हमें वैष्णव जन की हल्की धुन भी सुनाई पड़ती है? यह अतिरेक न लगे तो उनकी प...