रामू की '...आग
चवन्नी को वह पहला दिन याद है.राम गोपाल वर्मा की फैक्ट्री के आगे टीवी चैनलों को ओबी वैन लगाने की jagah नहीं मिल रही थी.कानोकान सभी को खबर लग चुकी थी कि आज एक बड़ी घोषणा होगी.इंतज़ार चल रह था.सारे चैनलों को जगह दे दी गयी थी.सभी अपने कैमरे बंदूक की तरह ताने बेसब्री से जीं पी सिप्पी के आने की प्रतीक्षा कर राहे थे.रामू के होंठों पर संगीन मुस्कराहट तैर रही थी.रामू खुश होते हैं तो उनके होंठों की रंगत बदल जाती है.खुश होने पर सभी की आंखों से नूर टपकता है.रामू कि कोशिश रहती है कि कोई उनकी खुशी पकड़ ना पाए.हैं कुछ विचित्र बातें रामू के साथ.बहरहाल,उस दिन ऐतिहासिक घोषणा हुई कि रामू 'शोले' बनायेंगे.बताया गया कि आज जीं पी सिप्पी ने रामू को ये अधिकार दे दिए. सारे चैनलों ने उस दोपहर और शाम रामू की फैक्ट्री से सीधा प्रसारण किया.ऐसा हंगामा हुआ कि हिंदी सिनेमा की तस्वीर बदलने की संभावना दिखने लगी.रामू भी इतरा रहे थे और जो कुछ मन में आ रहा था...बोल रहे थे.चवन्नी चकित है कि आम लोगों की तो छोड़िए...मीडिया के सक्रिय संवाददाताओं की स्मृति भी इतनी कमजोर हो सकती है.उस दिन रामू के कसीदे पढ़ रहे लोग '...