शाहरुख का दुख
शाहरुख का दुख -अजय ब्रह्मात्मज शाहरुख खान ने अपनी पहचान की मार्मिक व्यथा और कथा एक अंग्रेजी पत्रिका के लिए लिखी है। ‘बीइंग ए खान’ आलेख में उन्होंने बड़े सटीक तरीके से अपनी पहचान और उसकी वजह से हो रहे अपमान और परेशानी को सुंदर गद्य में पेश किया। आम तौर पर फिल्म सितारों के पास अभिव्यक्ति के लिए ढेर सारे अनुभव होते हैं, लेकिन उनके पास उन्हें व्यक्त करने योग्य समृद्ध भाषा नहीं होती। जीवित सितारों में अमिताभ बच्चन अपवाद हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान गति से अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। उनके ब्लॉग और ट््िवट को निरंतर फॉलो करें तो बहुत कुछ सीख-समझ सकते हैं। शाहरुख खान के पास भी विशद और विविध अनुभव हैं। वे उन्हें सुंदर तरीके से इंटरव्यू और आलेख में व्यक्त करते हैं। वे पूरी गंभीरता से प्रश्नों को सुनते हैं और फिर जवाब देते हैं। यही वजह है कि उनका हर इंटरव्यू पठनीय होता है। ‘बीइंग ए खान’ में उन्होंने अपनी तकलीफ के बारे में लिखा है। इस आलेख में फिल्म स्टार शाहरुख खान केवल पृष्ठभूमि में हैं। शब्दों से झांकता व्यक्तित्व एक आम मुसलमान का है। उसे हर...