पुरस्कृत हुई हैं पहली फिल्में
-अजय ब्रह्मात्मज फिल्मों के 55वें राष्ट्रीय पुरस्कार में हिंदी की किसी फिल्म को मुख्य श्रेणी में श्रेष्ठ फिल्म, श्रेष्ठ अभिनेता, श्रेष्ठ अभिनेत्री और श्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार नहीं मिलने से हिंदी फिल्म प्रेमी थोड़े उदास हैं। उनकी उदासी को समाचार चैनलों और अखबारों की सुर्खियों की प्रस्तुति ने और बढ़ा दिया है। खबरें चलीं कि बॉलीवुड को कांजीवरम ने पछाड़ा या आमिर-शाहरुख पर भारी पड़े प्रकाश राज। दरअसल, पुरस्कारों में प्रतिद्वंद्विता नहीं होती है। निर्णायक मंडल के सदस्य व्यक्तिगत रुचि और पसंद के आधार पर कलाकार, तकनीशियन और फिल्मों को पुरस्कार के लिए चुनते हैं। निर्णायक मंडल के सदस्यों की अभिरुचि से पुरस्कार तय होते हैं। बहरहाल, उदासी के इस वातावरण में उल्लेखनीय तथ्य है कि जिन हिंदी फिल्मों को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार मिले हैं, वे सभी फिल्में निर्देशक की पहली फिल्में हैं। तारे जमीं पर को तीन पुरस्कार मिले। इस फिल्म के निर्देशक आमिर खान हैं और तारे जमीं पर उनकी पहली फिल्म है। इसी प्रकार गांधी माय फादर भी फिरोज अब्बास खान की पहली फिल्म है। इस फिल्म को भी तीन पुरस्कार मिले हैं। किसी निर...