फिल्म समीक्षा : चार साहिबजादे : द राइज ऑफ बंदा सिंह बहादुर
बंदा बहादुर की शौर्य गाथा चार साहिबजादे : द राइज ऑफ बंदा सिंह बहादुर -अजय ब्रह्मात्मज सिखों के इतिहास में उनके 10 वें गुरू गोविद सिंह का खास स्थान है। उन्होंने अपने निधन से पहले यह घोषणा की थी कि उनके बाद कोई देहधारी गुरू नहीं होगा। उन्होंने धार्मिक ग्रंथ को गुरू ग्रंथ साहिब का दर्जा दिया था। उन्होंने ही पंज प्यारे को सिखों की कमान सौंपी थी। पंज प्यारों की देख ’ रेख में बंदा सिंह बहादुर ने मुगलों के खिलाफ जंग छेड़ी और सिखों की राजनीतिक प्रतिष्ठा हासिल की। एनीमेश फिल्म ‘ चार साहिबजादे : द राइज ऑफ बंदा सिंह बहादुर ’ मुख्य रूप से उनकी जीवनगाथा है। दो साल पहले हैरी बावेजा ने गुरू गोविंद सिंह के चारों बेटों की शहादत पर ‘ चार साकहबजादे ’ फिल्म बनाई थी। ‘ चार साहिबजादे : द राइज ऑफ बंदा सिंह बहादुर ’ उसकी की अगजी कड़ी है। नई फिल्म में गुरू गोविंद सिंह और उनके बेटों के संदर्भ से ही बंदा सिंह बहादुर की कहानी आगे बढ़ती है। लक्ष्मण दास ने कठोर तपस्या से ऋषि माधे दास नाम अर्जित किया था। वे तंत्र-मंत्र में दीक्षित थे। गुरू गोविंद सिंह ने नांदेड़ प्रवास के दौरा...