क्या बुराई है कंफ्यूजन में : श्रद्धा कपूर
-अजय ब्रह्मात्मज श्रद्धा कपूर पढ़ाई के सिलसिले में अमेरिका के बोस्टन शहर चली गईं थीं। एक बार छुट्टियों में आईं तो उन्हें फिल्मों के ऑफर मिले। तब तक मन नहीं बनाया था कि आगे क्या करना है? कुछ दिनों तक दुविधा रही कि आगे पढ़ाई जारी रखें या फिल्मों के ऑफर स्वीकार करें। श्रद्धा ने दिल की बात सुनी। पढ़ाई छोड़ दी और फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया। -क्या फिल्मों में आने के फैसले के पहले एक्टिंग की कोई ट्रेनिंग वगैरह भी ली थी? लीना यादव की फिल्म ‘तीन पत्ती’ के पहले मैंने बैरी जॉन के साथ ट्रेनिंग ली। उससे बहुत फायदा हुआ। फिर यशराज फिल्म्स की ‘लव का द एंड’ करते समय डायरेक्टर के साथ ही स्क्रिप्ट रीडिंग की। ‘आशिकी 2’ के पहले मुकेश छाबड़ा के साथ वर्कशॉप किए। वे बहुत मशहूर कास्टिंग डायरेक्टर हैं। ‘हैदर’ की भी कास्टिंग उन्होंने की थी। मुकेश छाबड़ा कमाल के टीचर हैं। अभी हाल में ‘एबीसीडी 2’ के सेट पर भी उनसे मुलाकात हुई। मैं उन्हें ‘तीन पत्ती’ के समय से जानती हूं। तब वे अभिमन्यु रे के सहायक थे। मुकेश छाबड़ा बहुत ही सख्त शिक्षक हैं। रियल टास्क मास्टर..। -ऐसे टीचर के साथ सीखते समय कोफ्त तो होती होगी? ...