फिल्म समीक्षा : हीरोपंथी / हिरोपंती
सिर्फ और सिर्फ टाइगर श्रॉफ -अजय ब्रह्मात्मज जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ को केंद्र में रख कर बनी निर्माता साजिद नाडियाडवाला की साबिर खान निर्देशित 'हीरोपंती' का एक ही मकसद है सिर्फ और सिर्फ टाइगर श्रॉफ की खूबियों को दिखाना। इन दिनों हिंदी फिल्मों में हीरो के परफॉर्मेस को जांचने-परखने का तरीका एक्शन और डांस रह गया है। ड्रामा और इमोशन के दृश्य उन्हें कम से कम दिए जाते हैं। 'हीरोपंती' में टाइगर श्रॉफ अपनी मचलती मांसपेशियों और चुस्त देहयष्टि के साथ मौजूद हैं। डांस सिक्वेंस में भी उनकी चपलता आकर्षित करती है। कमी है तो सिर्फ एक्टिंग में, संवाद अदायगी में स्पष्टता नहीं है और हर इमोशन में चेहरे का भाव एक सा ही बना रहता है। बतौर अभिनेता टाइगर को अभी काफी मेहनत करनी होगी। 'हीरोपंती' अंतर्निहित कमियों और खूबियों के साथ एंटरटेन करती है, क्योंकि लंबे समय के बाद पर्दे पर दिख रहे हीरो के स्टंट में विश्वसनीयता है। एक्शन के सभी दृश्यों में टाइगर श्रॉफ के आत्मविश्वास और दक्षता की झलक है। एक्शन डायरेक्टर ने इन दृश्यों को हैरतअंगेज नहीं रखा है। इसी प्रका...