Posts

Showing posts with the label हरिवंश राय बच्चन

बाबूजी की कमी खलती है- अमिताभ बच्चन

Image
यह इंटरव्‍यू रघुवेन्‍द्र सिंह के ब्‍लॉग से लिया गया है चवन्‍नी के पाठ‍कों के लिए.... अमिताभ बच्चन ने दिल में अपने बाबूजी हरिवंशराय बच्चन की स्मृतियां संजोकर रखी हैं. बाबूजी के साथ रिश्ते की मधुरता और गहराई को अमिताभ बच्चन से विशेष भेंट में रघुवेन्द्र सिंह ने समझने का प्रयास किया लगता है कि अमिताभ बच्चन के समक्ष उम्र ने हार मान ली है. हर वर्ष जीवन का एक नया बसंत आता है और अडिग, मज़बूत और हिम्मत के साथ डंटकर खड़े अमिताभ को बस छूकर गुज़र जाता है. वे सत्तर वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन उन्हें बुजऱ्ुग कहते हुए हम सबको झिझक होती है. प्रतीत होता है  िक यह शब्द उनके लिए ईज़ाद ही नहीं हुआ है. उनका $कद, गरिमा, प्रतिष्ठा, लोकप्रियता समय के साथ एक नई ऊंचाई छूती जा रही है. वह साहस और आत्मविश्वास के साथ अथक चलते, और बस चलते ही जा रहे हैं. वह अंजाने में एक ऐसी रेखा खींचते जा रहे हैं, जिससे लंबी रेखा खींचना आने वाली कई पीढिय़ों के लिए चुनौती होगी. वह नौजवान पीढ़ी के साथ $कदम से $कदम मिलाकर चलते हैं और अपनी सक्रियता एवं ऊर्जा से मॉडर्न जेनरेशन को हैरान करते हैं. अपने बाबूजी हरिव...

भाषा से भाव बनता है: अमिताभ बच्चन

Image
अमिताभ बच्चन अपने पिता की रचना 'जनगीता' को स्वर देंगे.इस बातचीत में अमिताभ बच्चन ने और भी बातें बतायीं.जिस प्रकार एक सुसंस्कारित, आस्थावाहक पुत्र की तरह सदी के महानायक पिता की रचनाओं को अपना स्वर देकर उस अनमोल विरासत और परम्परा से जुड़ने के आकांक्षी है वह एक बड़ी बात है- आपने पिता द्वारा अनूदित 'ओथेलो' में कैसियो की भूमिका निभायी थी। उनकी इच्छा थी कि आप 'हैमलेट' की भी भूमिका निभाएं। क्या इसकी संभावना बनती है? अब तो नहीं बन सकती। अब तो 'हैमलेट' के पिता के रूप में जो भूत था वही बन पाऊंगा। हां, इस बात का खेद है कि उसे नहीं कर पाया। कभी अवसर नहीं मिल पाया। जब अवसर था तो व्यस्तता बढ़ गई थी। व्यस्तता के कारण इस ओर मैं ध्यान नहीं दे पाया। मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले दिनों में कोई न कोई इसे पढ़ेगा और इसकी बारीकी को समझेगा। कोई न कोई कलाकार इस किरदार को जरूर निभाएगा। इस सवाल का यह भी आशय था कि क्या आप निकट भविष्य में रंगमंच पर उतर सकते हैं? इस उम्र में थिएटर में वापस जाना मेरे लिए संभव नहीं होगा, क्योंकि थिएटर बड़ा मुश्किल काम है। जो लोग थिएटर करते हैं,उनको म...

लोग मुझे भूल जायेंगे,बाबूजी को याद रखेंगे,क्योंकि उन्होंने साहित्य रचा है -अमिताभ बच्चन

Image
अमिताभ बच्चन से उनके पिता श्री हरिवंश राय बच्चन के बारे में यह बातचीत इस मायने में विशिष्ट है कि अमित जी ज्यादातर फिल्मों के बारे में बात करते हैं,क्योंकि उनसे वही पूछा जाता है.मैंने उनके पिता जी के जन्मदिन २७ नवम्बर से एक दिन यह पहले यह बातचीत की थी। यकीन करे पहली बार अमिताभ बच्चन को बगैर कवच के देखा था.ग्लैमर की दुनिया एक आवरण रच देती है और हमारे सितारे सार्वजनिक जीवन में उस आवरण को लेकर चलते हैं.आप इस बातचीत का आनंद लें... -पिता जी की स्मृतियों को संजोने की दिशा में क्या सोचा रहे हैं? हम तो बहुत कुछ करना चाहते हैं। बहुत से कार्यक्रमों की योजनाएं हैं। बहुत से लोगों से मुलाकात भी की है मैंने। हम चाहते हैं कि एक ऐसी संस्था खुले जहां पर लोग रिसर्च कर सकें। यह संस्था दिल्ली में हो या उत्तर प्रदेश में हो। हमलोग उम्मीद करते हैं कि आने वाले वर्षो में इसे सबके सामने प्रस्तुत कर सकेंगे। आप उनके साथ कवि सम्मेलनों में जाते थे। आप ने उनके प्रति श्रोताओं के उत्साह को करीब से देखा है। आज आप स्वयं लोकप्रिय अभिनेता हैं। आप के प्रति दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता है। दोनों संदर्भो के उत्साहों की तु...