क्यों नए नए से दर्द की फिराक में तलाश में उदास है दिल
चवन्नी आज स्वानंद किरकिरे का पूरा गीत यहाँ पेश कर रहा है.आप यह गीत सुनें और फिर इन पंक्तियों को पढें तो ज्यादा आनंद मिलेगा। आज शब जो चांद ने है रुठने की ठान ली गर्दिशों में हैं सितारे बात हम ने मान ली अंधेरी स्याह ज़िन्दगी को सूझती नहीं गली कि आज हाथ थाम लो एक हाथ की कमी खली क्यों खोया खोया चांद की फ़िराक में तलाश में उदास है दिल क्यों अपने आप से खफ़ा खफ़ा जरा जरा सा नाराज़ है दिल ये मन्ज़िले भी खुद ही तय करेये रास्ते भी खुद ही तय करे क्यों तो रास्तों पे फिर सहम सहम के संभल संभल के चलता है ये दिल क्यों खोया खोया चांद की फ़िराक में तलाश में उदास है दिल जिंदगी सवालों के जवाब ढूंढने चली जवाब में सवालों की एक लंबी सी लड़ी मिली सवाल ही सवाल है सूझती नहीं गली कि आज हाथ थाम लो एक हाथ की कमी खली जी में आता है सितारे नोच लूं इधर भी नोच लूं उधर भी नोच लूं एक दो पांच क्या मैं फिर सारे नोच लूं इधर भी नोच लूं उधर भी नोच लूं सितारे नोच लूं, मैं सारे नोच लूं क्यों तो आज इतना वहशी है मिजाज में मजाज है ऐ गम-ए-दिल क्यों अपने आप से खफा खफा जरा जरा सा नाराज है दिल दिल को समझाना कह दो क्या आसान है दिल तो फितरत से...