फिल्म समीक्षा : रेड
फिल्म समीक्षा हिंदी समाज की बुनावट के चरित्रों की कहानी रेड -अजय ब्रह्मात्मज रितेश शाह की लिखी स्क्रिप्ट पर राज कुमार गुप्ता निर्देशित फिल्म ‘रेड’ के नायक अजय देवगन हैं। मुंबई में बन रही हिंदी फिल्मों में हिंदी समाज नदारद रहता है। रितेश और राज ने ‘रेड’ को लखनऊ की कथाभूमि दी है। उन्होंने लखनऊ के एक दबंग नेता के परिवार की हवेली में प्रवेश किया है। वहां की पारिवारिक सरंचना में परिवार के सदस्यों के परस्पर संबंधों के साथ उनकी समानांतर लालसा भी देखी जा सकती है। जब काला धन और छिपी संपत्ति उद्घाटित होती है तो उनके स्वार्थों का भेद खुलता है। पता चलता है कि संयुक्त परिवार की आड़ में सभी निजी संपत्ति बटोर रहे थे। घर के बेईमान मुखिया तक को खबर नहीं कि उसके घर में ही उसके दुश्मन और भेदी मौजूद हैं। इस फिल्म के मुख्य द्वंद्व के बारे में कुछ लिखने के पहले यह गौर करना जरूरी है कि हिंदी फिल्मों में उत्तर भारत के खल चरित्रों को इस विस्तार और बारीकी के साथ कम ही पर्दे पर उतारा गया है। प्रकाश झा की फिल्मों में सामंती प्रवृति के ऐसे नेता दिखते हैं,जो राजनीति क...