सुचित्रा सेन : पर्दे पर बखूबी उतारा महिला दर्प
-अजय ब्रह्मात्मज सुचित्रा सेन को हिंदी फिल्मों के दर्शक आज भी ‘देवदास’ और ‘आंधी’ की वजह से जानते हैं। ‘देवदास’ की पारो और ‘आंधी’ की आरती देवी के चरित्रों को उन्होंने जिस सादगी,गरिमा और आधिकारिक भाव से निभाया,वह समय के साथ पुराना नहीं हो सका है। 1955 में आई ‘देवदास’ की पारो को उस फिल्म की विभिन्न भाषाओं की रीमेक में पारो बनी अभिनेत्रियां पार नहीं कर सकीं। हालांकि फिल्म के हीरो दिलीप कुमार थे और आशंका था कि बंगाल की यह अभिनेत्री उनके सामने परफारमेंस में डगमगा जाएंगी। सुचित्रा सेन ने फिल्म के लेखक राजेन्दर सिंह बेदी और निर्देशक बिमल राय के विजन को बखूबी पर्दे पर उतार कर दमदार बना दिया। सुचित्रा सेन के इस योगदान का अंतर ‘देवदास’ पर बनी सभी फिल्मों को एक साथ देखने पर ठीक से समझा जा सकता है। गुलजार निर्देशित ‘आंधी’ की आरती कपूर के चरित्रांकन में इंदिरा गांधी की छटा देखी गई थी। वास्तव में सुचित्रा सेन के अभिनय ने इस किरदार को चरित्र को आत्मविश्वास और स्वातंत्र्य के साथ दर्प दिया था। आरती कपूर को पति से अलग होने का दुख तो है,लेकिन वह फिर से आज्ञाकारी पत्नी होने के लिए तैयार नहीं है। संजीव ...