सिगरेट और शाहरुख़ खान
शाहरुख़ खान ने कहा कि फिल्मों में सिगरेट पीते हुए कलाकारों को दिखाना कलात्मक अधिकार में आता है और इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.अगर आप गौर से उस समाचार को पढें तो पाएंगे कि एक पंक्ति के बयान से खेला गया है.फिल्म पत्रकारिता की यही सामाजिकता है। हमेशा बहस कहीं और मुड़ जाती है.सवाल फिल्मों में किरदारों के सिगरेट पीने का नहीं है.सवाल है कि आप उसे अपने प्रचार में क्यों इस्तेमाल करते हैं.क्या पोस्टर पर स्टार की सिगरेट पीती तस्वीर नहीं दी जाये तो फिल्म का प्रचार नहीं होगा ?चवन्नी ने देखा है कि एक ज़माने में पोस्टर पर पिस्तौल जरूर दिखता था.अगर फिल्म में हत्या या बलात्कार के दृश्य हैं तो उसे पोस्टर पर लाने की सस्ती मानसिकता से उबरना होगा. फिल्म के अन्दर किसी किरदार के चरित्र को उभारने के लिए अगर सिगरेट जरूरी लगता है तो जरूर दिख्यें.लेकिन वह चरित्र का हिस्सा बने,न कि प्रचार का। शाहरुख़ खान इधर थोड़े संयमित हुए हैं.पहले प्रेस से मिलते समय कैमरे के आगे वे बेशर्मों की तरह सिगरेट पीते रहते थे.इधर होश आने पर उन्होंने कैमरे के आगे सिगरेट से परहेज कर लिया है.चवन्नी को याद है एक बार किसी टॉक शो म...