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संस्‍मरण : विरेन्‍द्र वर्मा,कुर्सियां और स्‍टार

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27 नवंबर को वरिष्‍ठ फिल्‍म पत्रकार विरेन्‍द्र वर्मा का निधन हो गया। हिंदी साहित्‍य के प्रेमियों की जानकारी के लिए वे सुरेन्‍द्र वर्मा के भाई थे। उन्‍होंने इंडियन एक्‍सप्रेस की साप्‍ताहिक फिल्‍म अखबार स्‍क्रीन के लिए बरसों काम किया। रिटायर होने के बाद वे एक ट्रेड पत्रिका के लिए काम करते रहे। उम्र की वजह से वे अस्‍वस्‍थ जरूर हो गए थे,लेकिन उनकी मुस्‍कान कायम थी। ज्‍यादातर वरिष्‍ठ अपने समय का गुण्‍गान और वर्तमान की आलोचना करते हैं। मैंने विरेन्‍द्र वर्मा को कभी दुखी और नाराज नहीं देखा। इधर वे फिल्‍मों के प्रिव्‍यू शो में आते थे और कभी सीट या कुर्सी खाली नहीं मिलती थी तो भी वे कुढ़ते नहीं थे। आने लिए जगह खोज कर चुपचाप बैठ जाते थे। हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री का पुराना दस्‍तूर है कि स्‍टार हो या पत्रकार...यहां ताकतवर और उदीयमान को सभी सलाम करते हैं। समय के साथ विरेन्‍द्र वर्मा की भूमिका नेपथ्‍य में चली गई थी। उनके प्रति फिल्‍मों के पीआर और अन्‍य संबंधित व्‍यक्तियों का रवैया बदल गया था। फिर भी उन्‍हें कभी मलाल करते नहीं देखा। वे हंसमुख और विनोदी स्‍वभाव के इंसान थे।       ...