यश चोपड़ा का संन्यास
-अजय ब्रह्मात्मज अपने 80 वें जन्मदिन पर आयोजित एक विशेष समारोह में यश चोपड़ा ने खुली घोषणा कर दी कि वे जब तक है जान के बाद कोई फिल्म निर्देशित नहीं करेंगे। किसी भी सफल फिल्मकार के लिए यह अहम फैसला होता है कि वह कब संन्यास ले। कुछ नया करने और कहने से ज्यादा पाने की फिक्र में कई दफा चाहकर भी फिल्म बिरादरी के सदस्य अपने काम से अलग नहीं हो पाते। स्टार को लगा रहता है कि अगली फिल्म पिछली फिल्म से श्रेष्ठ, शानदार और बड़ी हिट होगी। निर्माता-निर्देशक कुछ नया पाने और दिखाने की लालसा में जुटे रहते हैं। फिलहाल, यश चोपड़ा सफल और समर्थ फिल्मकार हैं। हालांकि वे अस्सी के हो चुके हैं, लेकिन इस उम्र में भी उनकी सृजनात्मक तीक्ष्णता बरकरार है। इस उम्र तक पहुंचने पर ज्यादातर व्यक्ति नॉस्टेलजिक और सिनिकल हो जाते हैं। उन्हें अपना जमाना याद रहता है। वे नई पीढ़ी के साथ तालमेल न बिठा पाने पर आत्मान्वेषण करने के बजाय बदले हुए समय, परिवेश और प्रवृत्ति को दोष देने लगते हैं। लेकिन इसके उलट यश चोपड़ा ने हमेशा खुद को नए तरीके से पेश किया। धूल का फूल से लेकर जब तक है जान तक में हम देख सकते ह...