संडे नवजीवन : सेलेब्रिटी शादी : वैभव और बदली परंपरा
संडे नवजीवन सेलेब्रिटी शादी : दिखा वैभव और बदली परंपरा -अजय ब्रह्मात्मज भारतीय समाज में शादी हम सभी के सामाजिक-पारिवारिक जीवन का अनिवार्य चरण है.अभिभावक और माता-पिता चाहते हैं कि उनकी संतान समय रहते शादी कर ले और ‘सेटल’ हो जाये.अभिभावक और परिवार की मर्जी व सहमति से शादी हो रही हो तो औकात से ज्यादा खर्च करने का उत्साह आम है.यूँ आये दिन शादी और दहेज़ के लिए क़र्ज़ लेने के किस्से ख़बरों में आते रहते हैं.फिर भी शादी में अतिरिक्त खर्च का सिलसिला नहीं थम रहा है.गाँव-देहात से लेकर शहरी समाज तक की शादी में दिखावा बढ़ता जा रहा है.टीवी और फिल्मों के प्रसार और प्रभाव से रीति-रिवाज से लेकर विधि-विधान तक में तब्दिली आ रही है.अपनाने की आदत इतनी प्रबल है कि फिल्मों और ख़बरों में दिखी शादियों से परिधान और विधान अपनाये जा रहे हैं.देश के सारे दूल्हे शेरवानी और सारी दुल्हनें लहंगे में नज़र आने लगी हैं.संगीत,वरमाला और जूता छिपाई की रस्में देश के कोने-कोने में दोहराई जा रही हैं.रुढियों के नाम पर हल्दी,चुमावन और विदाई जैसी आत्मीय और रागात्मक रस्मों से तौबा किया जा रहा है.सबकुछ यकसां हो रहा है. अब तो...