ॐ ....ओम....ओम दर-ब-दर
जो कोई कमल स्वरूप की फिल्म 'ओम दर-ब-दर नहीं समझ पा रहे हैं। उनके लिए बाबा नागार्जुन की यह कविता कुंजी या मंत्र का काम कर सकती है। इस कविता का सुंदर उपयोग संजय झा मस्तान ने अपनी फिल्म 'स्ट्रिंग' में किया था। वे भी 'ओम दर-ब-दर' को समझने की एक कड़ी हो सकते हैं। मंत्र कविता/ बाबा नागार्जन ॐ श ब्द ही ब्रह्म है .. ॐ श ब्द् , और श ब्द , और श ब्द , और श ब्द ॐ प्रण व , ॐ नाद , ॐ मुद्रायें ॐ व क्तव्य , ॐ उद गार् , ॐ घोष णाएं ॐ भाष ण ... ॐ प्रव च न ... ॐ हुंकार , ॐ फ टकार् , ॐ शीत्कार ॐ फुस फुस , ॐ फुत्कार , ॐ चीत्कार ॐ आस्फाल न , ॐ इंगित , ॐ इशारे ॐ नारे , और नारे , और नारे , और नारे ॐ स ब कुछ , स ब कुछ , स ब कुछ ॐ कुछ न हीं , कुछ न हीं , कुछ न हीं ॐ प त्थ र प र की दूब , ख रगोश के सींग ॐ न म क - तेल - ह ल्दी - जीरा - हींग ॐ मूस की लेड़ी , क नेर के पात ॐ डाय न की चीख , औघ ड़ की अट प ट बात ॐ कोय ला - इस्...