फिल्म समीक्षा - काबिल
फिल्म रिव्यू काबिल इमोशन के साथ फुल एक्शन -अजय ब्रह्मात्मज राकेश रोशन बदले की कहानियां फिल्मों में लाते रहे हैं। ‘ खून भरी मांग ’ और ‘ करण-अर्जुन ’ में उन्होंने इस फॉर्मूले को सफलता से अपनाया था। उनकी फिल्मों में विलेन और हीरो की टक्कर और अंत में हीरो की जीत सुनिश्वित होती है। हिंदी फिल्मों के दर्शकों का बड़ा समूह ऐसी फिल्में खूब पसंद करता है, जिसमें हीरो अपने साथ हुए अन्याय का बदला ले। चूंकि भारतीय समाज में पुलिस और प्रशासन की पंगुता स्पष्ट है, इसलिए असंभव होते हुए भी पर्दे पर हीरो की जीत अच्छी लगती है। राकेश रोशन की नयी फिल्म ‘ काबिल ’ इसी परंपरा की फॉर्मूला फिल्म है, जिसका निर्देशन संजय गुप्ता ने किया है। फिल्म में रितिक रोशन हीरो की भूमिका में हैं। रितिक रोशन को हम ने हर किस्म की भूमिका में देखा और पसंद किया है। उनकी कुछ फिल्में असफल रहीं, लेकिन उन फिल्मों में भी रितिक रोशन के प्रयास और प्रयोग को सराहना मिली। 21वीं सदी के आरंभ में आए इस अभिनेता ने अपनी विविधता से दर्शकों और प्रशंसकों को खुश और संतुष्ट किया है। रितिक रोशन क...