मेरी मां- शबाना आजमी

-रघुवेन्द्र सिंह वे जिस शख्स के सिर पर हाथ रख देती हैं, उसकी जिंदगी बदल जाती है. वे जिसके संग कुछ वक्त गुजारती हैं, उसकी सोच और शख्शियत बदल जाती है. शबाना आज़मी के चुंबकीय व्यक्तित्व का करिश्मा ही कुछ ऐसा है. अर्थपूर्ण िफल्मों के साथ-साथ उन्होंने वास्तविक जीवन में अपने समाजसेवी कार्यों से हज़ारों जि़ंदगियों का रू$ख तब्दील किया है. उन्हें $करीब से जानने-समझने के लिए मैंने उनके जन्मदिन (१८ सितंबर) के अवसर पर अपने एडिटर जितेश पिल्लै के समक्ष उनका साक्षात्कार करने की बात रखी. उन्होंने सुझाव दिया कि अगर शबाना आज़मी की श$िख्सयत को समझना है तो उनकी मम्मी शौकत आज़मी से बात करो. उन्होंने शौकत आज़मी और शबाना आज़मी का संयुक्त साक्षात्कार और फोटोशूट करने की बात कही. मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा. मेरी $खुशकिस्मती देखिए कि शबाना आज़मी ने फौरन अपनी मम्मी के साथ बातचीत करने के लिए हां कह दिया. बरसात की एक दोपहर मैं शबाना आज़मी के जुहू स्थित सागर सम्राट बिल्डिंग के सातवें महले पर करीने से सजे $खूबसूरत घर में प्रवेश करता हूं. एम एफ हुसैन सहित दुनिया के मशहूर चित्रकारों की पेंटिंग ...