शिक्षा पद्धति बदलने की दरकार : इरफान
शिक्षा पद्धति बदलने की दरकार : इरफान एडुकेशन के क्षेत्र में चामात्कारिक काम करने वालों को मिड डे सराहता है। अपने ‘ एक्सलेंस इन एडुकेशन सम्मान ’ मुहिम के जरिए। ‘ हिंदी मीडियम ’ भाषाई विभेद और स्क्ूली शिक्षा की मौजूदा व्यवस्था पर एक टेक लेती हुई फिल्म है। इरफान इसमें मुख्य भूमिका में हैं। वे मिड डे की इस मुहिम को सपोर्ट करने खास तौर पर सम्मान समारोह में आए। इस मौके पर उनसे दैनिक जागरण के फिल्म एडीटर अजय ब्रह्मात्मज से खुलकर बातें कीं : -मिड डे इस इनीशिएटिव को आप किस तरह से देखते हैं ? साथ ही शिक्षा का कितना महत्व मानते हैं आप किसी की जिंदगी में ? वह बहुत ज्यादा है , लेकिन उसकी पद्धति पर गौर फरमाने की दरकार है। उसका तरीका क्या है। यह अजीब सा है कि दो से पांच साल के बच्चों पर स्कूली बस्ते का बोझ लाद दिया जाता है। 14-15 तक का होने तक ही उन पर करियर डिसाइड करने का भारी बोझ डाल दिया जाता है। यह सही नहीं है। - ‘ हिंदी मीडियम ’ का जो विषय है , उससे यकीनन हर कोई जुड़ाव महसूस क र रहा है। बच्चों के एडमिशन का इंटरव्यू एक तरह से मां-बाप के भी इंटरव्यू क...