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शत्रुघ्‍न सिन्‍हा से अंतरंग बातचीत

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शत्रुघ्न सिन्हा का यह इंटरव्‍यू 16 मई 1995 को किया गया था। इसका संपादित अंश हिंदी स्‍क्रीन में छपा था। अब कलाकारों के पास इतना समय नहीं रहता कि वे ढंग से विस्‍तृत बात कर सकें। पढ़ें और आनंद लें। 25 साल का कैरिअर 0 25 सालों से ज्यादा का यह फिल्म के शिखर के करीब सुख-दुख , तालियों , गालियों , मान-सम्मान , प्रगति और व्यवधान के बीच का यह सफर संपूर्णता में अगर तौला जाए तो बहुत ही कामयाबी का सफर रहा है। व्यावसायिक दृष्टिकोण से। आभारी हूं भगवान का , भाग्य का (जिस भाग्य पर पहले कम विश्वास करता था , लेकिन अब जब देखता हूं चारों तरफ और खासकर पीछे मुडक़र देखता हूं तो लगता है कि सिर्फ अच्छा कलाकार या कला का भंडार ही जरूरी नहीं है। खासकर फिल्मों के क्षेत्र में या कला के व्यावसायिक क्षेत्र में । चाहे वह टेलीविजन हो वीीडियो हो , फिल्म हो। जिस तरह लाटरी के विजेता को अपने ऊपर गुमान करने का , अहंकार करने का कोई अधिकार नहीं होता , उसी तरह फिल्मों में स्टार बनने वाले को अपने ऊपर अहंकार करने का कोई हक नहीं बनता। यह उसकी भूल होगी , मूर्खता होगा। जब मैं पीछे मुडक़र देखता हूं तो यह जरूर लगता है कि और बह...

शत्रुघ्‍न सिन्‍हा से बातचीत

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शत्रुघ्‍न सिन्‍हा से हुई बातचीत का आखिरी अंश...यह बातचीत पुानी है,लेकिन शत्रुघ्‍न सिन्‍हा की सोच और समझदारी को ऐतिहासिक संदर्भ देती है।  - अच्छा अगर हम मान लें आप बिहार के मुख्य मंत्री होने जा रहे हैं तो बिहार की तीन महत्वपूर्ण समस्या क्या होगी जिसे आप खत्म करेंगे ? 0 आप ये मान कर चले रहे हैं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा परंतु मैं एक आम नागरिक के तरह बात कर रहा हूं। भारतीय जनता पार्टी के एक पदाधिकारी या कार्यकर्ता हैसियत से बात कर रहा हूं। ये आपका बड़प्पन है कि आपने मुझे सम्मान दिया तीनों चीजें एक दूसरे जुड़ी हुई है अलग नहीं हैं वे एक दूसरे की पूरक हैं दरअसल मैं चार चीज कहूंगा पर चारों एक दूसरे से जुड़ी हुई है सबसे पहले शांति अगर होगी तब लोग सुरक्षित महसूस करेंगे। सुरक्षित जब महसूस करेंगे तभी विकास होगा। विकास होगा तभी प्रगति होगी। विकास होगा तभी गरिमा आएगी। खुशहाली आएगी। ये चार चीज है शांति , सुरक्षा , विकास और गरिमा चारों अलग-अलग ले लें, परंतु चारों एक दूसरे से जुड़ी हुई है तब तक शांति नहीं होगी जातिवाद खत्म नहीं होगा। दहशत की आंधी खत्म नहीं होगी लोग एक गांव से दूसरे गांव...

तमगा नहीं हो सकता मेरे लिए मुख्‍यमंत्री पद-शत्रुघ्‍न सिन्‍हा

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 शत्रुघ्‍न सिन्‍हा यह इंटरव्‍यू उनके राज्‍य सभा सदस्‍य चुने जाने के समय किया गया था। राजनीति के छात्र और पत्रकारों के लिए यह उपयोगी हो सकता है। पुरानी फाईल से इसे निकाल रहा हू। कल अगला और अंतिम हिसा पोस्‍ट करूंगा। -अजय ब्रह्मात्‍मज - पहली बार किस राजनीतिज्ञ से मिले ? 0 पहली बार जिन्हें देखा और उनके साथ तस्वीर भी खिचवाई और वे बहुत अच्छे भी लगे,वे थे जवाहर लाल नेहरू। बहुत छोटा था बच्चा था , राज भवन में मिलने गया था। बालकनजी बाड़ी की ओर से मैं चार खने की बुश्‍शर्ट पहने था। और उनसे मुलाकात हुई भारत के प्रधानमंत्री से अपने आप को बड़ा भाग्यशाली समझा तस्वीर भी खिंचवाई हवा में उड़ता रहा। फोटो के छपने और प्रिंट आने का इंतजार करता रहा। चाचा नेहरू की उनकी छवि थी। वैसी छवि पेश की गई थी अब जैसे अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन राजेश खन्ना को सुपर स्टार और मुझे शॉटगन कहा जाता है। उसी तरह वह चाचा नेहरू थे। उन से मिलकर मैं बहुत उल्लास और जोश में रहा,लेकिन सबसे पहले जिसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व से प्रभावित हुआ वे थे जयप्रकाश नारायण। ये सीतामढ़ी आए थे वहां मेरे चाचा पुलिस में थे। वे मुझे ले...