फिलम समीक्षा : वेडिंग पुलाव
बासी और ठंडा पुलाव -अजय ब्रह्मात्मज यह फिल्म अनुष्का रंजन के माता-पिता ने बेटी की लौंचिंग के लिए बनाई है। ऐसी लौंचिंग फिल्म में लेखकों को हिदायत रहती है कि सारा जोर उस कलाकार पर हो, जिसे लौंच किया जा रहा है। फिल्म में उसके लिए ऐसे दृश्य होने चाहिए, जिसमें उस कलाकार की क्षमता और प्रतिभा का परिख्य मिले। ऐसी फिल्में वास्तव में फिल्म से अधिक नवोदित कलाकार का पोर्टफोलियो होती हैं, जो एक साथ दर्शकों और इंडस्ट़ी के लिए पेश की जाती है। इस लिहाज से इस फिल्म की कहानी अनुष्का रंजन को ध्यान में रख कर लिखी गई है। फिल्म के आरंभ से अाखिर तक खयाल रखा गया है कि किसी और किरदार की तरफ दर्शक आकर्षित न हो जाएं, इसीलिए दिगंत, मनचले, सोनाली सहगल और करण ग्रोवर के किरदारों को बढ़ने का मौका ही नहीं दिया गया है। हर बार फिल्म लौट कर अनुष्का पर आ जाती है। उनके किरदार तक का नाम अनुष्का रख दिया गया है। अनुष्का सामान्य हैं। स्क्रीन पर वह अच्छी लगती हैं। अपनी लंबाई से उन्हें झेंप नहीं आती। उनकी मुस्कराहट बौर कद-काठी अच्...