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हिज़्र का रंग औऱ बाजीराव मस्तानी... - विमलेश शर्मा

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अजमेर की विमलेश शर्मा ने 'बाजराव मस्‍तानी' के बारे में लिखा है। पकरख्‍य मिलते ही उनके बारे में विस्‍तार से बजाऊंगा।                मराठा योद्धा बाजीराव औऱ दीवानी मस्तानी के किरदार को जिस भव्यता औऱ सहजता के मिश्रण के साथ संजय लीला भंसाली ने उतारा है शायद ही कोई औऱ उतार पाता। मराठी उपन्यास राव पर आधारित यह फिळ्म इतिहास में कल्पना को कुछ यूँ परोसती है जैसे कि दिसम्बर के महीने की ठंड घुली धूप । पेशवा के सामने गुहार से शुरू हुआ बाजीराव मस्तानी का प्रथम साक्षात्कार अंत तक उसी उष्णता के साथ फिल्म में   बना रहता है।     प्रेम इस फिल्म की आत्मा है औऱ यह अंत तक हर मन को बाँधे रखता है। बाजीराव वाकई एक बहादुर   योद्धा है, एक   पति हैं, एक समर्पित प्रेमी   है औऱ एक जिम्मेदार पति भी । इन सबके बावजूद यहाँ जो रूप सर्वथा मुखर है वह है एक प्रेमी। जो योद्धा होकर भी , बाहर से सख्त होकर भी ओस की बूँदों को थामना जानता है। हवाओं के रूख को पहचानता है और प्रेम को धर्म , समाज औऱ तमाम मान्यताओं से आगे ज...