संगीत की अनन्य साधक लता जी
लता मंगेशकर संगीत की अनन्य साधक लता जी -अजय ब्रह्मात्मज सृजनात्मक प्रतिभ के शुरूआती साल करियर की नींव होते हैं. किसी भी क्षेत्र के कलाकार की प्रसिद्धि और योगदान को समझने के लिए उन व्यक्तियों और प्रतिभाओं को याद रखना चाहिए,जिन्होंने आरंभिक सहारा और प्रोत्साहन दिया. आज लता मंगेशकर का जन्मदिन है. इस अवसर पर हम उनके करियर की शुरुआत पर गौर करते हैं. किसी ने सही कहा है कि हमारे पास गंगा है, ताजमहल है, कश्मीर है और हमारे पास लता मंगेशकर हैं. लता मंगेशकर की आवाज की रूहानी मौजूदगी राहत देती है. उनकी आवाज का जादू दिल-ओ-दिमाग पर असर करता है. हमें ताजादम करता है. वह स्मृति की परिचित गलियों में ले जाता है. उनकी आवाज इस संसार की अकेली यात्रा में हमसफर बन जाती है. भिगो देती है. भावनाओं से सराबोर कर देती है. उन को सुनते हुए बड़े हुए व्यक्ति पुख्ता गवाही दे सकते हैं कि कैसे निराशा और उम्मीद के पलों में लता मंगेशकर की आवाज में उन्हें चैन, करार और सुकून दिया है. उन्हें हिम्मत और रहत दी है. सितंबर 1929 को पंडित दीनानाथ मंगेशकर के परिवार में उनका जन्म हुआ. भाई बहनों में सबसे बड़ी लता मंगेशक...