दरअसल : रौनक लौटी सिनेमाघरों में
-अजय ब्रह्मात्मज दीवाली के एक दिन बाद रिलीज हुई सूरज बड़जात्या की ‘ प्रेम रतन धन पायो ’ ने दर्शकों को सिनेमाघरों में खींचा है। लंबे समय से किसी भी फिल्म के प्रति दर्शकों का ऐसा आकर्षण नहीं दिखा था। फिल्मों ने 100-200 करोड़ के बिजनेस भी किए, लेकिन सिनेमाघरों पर दर्शकों की ऐसी भीड़ नहीं उमड़ी। पिछले दिनों दैनिक जागरण से खास बातचीत में सूरज बड़जात्या ने अपनी फिल्मों के दर्शकों के बारे में स्पष्ट संकेत दिए थे कि उनकी फिल्में देखने आठ से अस्सी साल की उम्र तक के दर्शक आते हैं। हिंदी में बन रहीं ज्यादतर फिल्मों के दर्शक सीमित होते हैं। अपराध या किसी खास जॉनर की फिल्मों में दर्शकों की संख्या सीमित रहती है, जबकि मेरी फैमिली फिल्मों के दर्शक उम्र और श्रेणी से परे होते हैं। सूरज बड़जात्या की बातों की सच्चाई सिनेमाघरों में दिख रही है। दीवाली के अगले दिन छुटृटी के कारण इस फिल्म को पर्याप्त दर्शक मिले और कलेक्शन का आंकड़ा 40 करोड़ के पार हो गया। हिंदी फिल्मों के निर्माता- निर्देशक इन दिनों वीकेंड कलेक्शन पर ज्यादा जोर देते हैं। वे आक्रामक प्रच...