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'रॉय' ने मेरे भीतर के ज्ञान-चक्षु खोल दिए हैं! - अनु सिंह चौधरी

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राॅय का यह रोचक रिव्‍यू जानकीपुल से लिया गया है। फिल्म 'रॉय' की आपने कई समीक्षाएं पढ़ी होंगी. यह समीक्षा लिखी है हिंदी की जानी-मानी लेखिका अनु सिंह चौधरी ने . जरूर पढ़िए. इस फिल्म को देखने के लिए नहीं, क्यों नहीं देखना चाहिए यह जानने के लिए- मॉडरेटर. ============= इस ' रॉय ' ने मेरे भीतर के ज्ञान-चक्षु खोल दिए हैं। फिल्म ने मेरे तन-मन-दिल-दिमाग पर ऐसी गहरी छाप छोड़ी है कि इसके असर को मिटाने के लिए टॉरेन्ट पर टैरेन्टिनो की कम से कम पांच फ़िल्में डाउनलोड करके देखनी होंगी। बहरहाल , महानुभाव रॉय और उनसे भी बड़े महापुरुष फिल्मकार-लेखक विक्रमजीत सिंह की बदौलत मैंने ढाई सौ रुपए गंवाकर सिनेमा हॉल में जो ज्ञान अर्जित किया , वो आपसे बांटना चाहूंगी। (वैसे भी ज्ञान बांटने से जितना बढ़ता है , सदमा बांटने से उतना ही कम होता है।)  ज्ञान नंबर १ - अगर आप कबीर ग्रेवाल (अर्जुन रामपाल) की तरह सेलीब्रेटेड फ़िल्म राईटर-डायरेक्टर बनना चाहते हैं , तो आप सिर्फ़ और सिर्फ़ टाईपराईटर पर अपनी स्क्रिप्ट लिखें। फ़िल्म लिखने के लिए ' प्रेरणा ' का होना जितना ज़रूरी है , उतना...

फिल्‍म समीक्षा : रॉय : गजेन्‍द्र सिंह भाटी

न महानगरीय, न कस्बाई दर्शकों की "रॉय’  ** 2/5 गजेंद्र सिंह भाटी  फिल्म खत्म होने के बाद हमें ये भूलना पड़ता है कि इसमें रणबीर कपूर, अर्जुन रामपाल और जैकलीन जैसे सितारे हैं। अंत में यही सत्य उभरता है कि विक्रमजीत सिंह की ये पहली फिल्म है और नौसिखिया फिल्म है। हो सकता है दस साल बाद वे इसे ज्यादा बेहतर बना पाएं। ट्रेलर्स से ऐसा लगता है कि रणबीर एक चोर रॉय बनकर एंटरटेन करते देखेंगे जबकि ऐसा नहीं है। वो सिर्फ फिल्ममेकर कबीर (अर्जुन) की स्क्रिप्ट का काल्पनिक पात्र है। ये जानकर निराशा होती है। लेकिन बाद में कबीर-आएशा (जैकलीन) की प्रेम कहानी कुछ लुभाने भी लगती है। "रॉय’ एक क्रिएटिव और स्वार्थी आदमी की जिदंगी के अमूर्त (Abstract) पहलुओं को दिखाती है जो नई बात है। अपनी फिल्म "गन्स-3’ बनाने तक कबीर एक जिम्मेदार आदमी बनकर उभरता है। दर्शकों को कैसा लगता है? पहले एक घंटे में वे कई बार दोहराते हैं कि ये हो क्या रहा है? क्योंकि दो समानांतर कहानियां अस्पष्ट रूप से चलती रहती हैं। अगर खूबसूरत लोकेशंस, वाइन, सिगरेट, क्रिएटिव लोगों की जिंदगी, खुलापन और प्यार की परतें प...

फिल्‍म समीक्षा :रॉय : सौरभ द्विवेदी

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वैलंटाइंस डे के नाम पर अप्रैल फूल बनाया रॉय ने सौरभ द्विवेदी |  13 फरवरी 2015 | अपडेटेड: 18:16 IST रॉय का पोस्टर फिल्म रिव्यूः रॉय एक्टर- अर्जुन रामपाल, जैकलिन फर्नांडिस , रणबीर कपूर, अनुपम खेर डायरेक्टरः विक्रमजीत सिंह ड्यूरेशनः 2 घंटा 27 मिनट रेटिंगः 5 में 1 स्टार एक लंबी सांस लें. ध्यान केंद्रित करें. क्या नजर आ रहा है. हैंडसम रणबीर कपूर. सब भरम है. गौर से देखें. अब रौशनी क्या दिखा रही है. ओह, अर्जुन रामपाल. हां. अब धीमे धीमे आंखें मलें. सब लोग एक साथ ओउम कहते हुए सांस छोड़ें. आपका भ्रम छंट गया है. भाईसाहब और बहिन जी. एआईबी पर मुकदमा हो चुका है. इसलिए पूरी तरह से शालीन बना हुआ हूं. वर्ना तो रॉय देखकर जिस ढंग से रैंकने का मन कर रहा है, आप उसका बस अंदाजा ही लगा सकते हैं. इतनी अझेल, खखोर, चाट फिल्म है कि जिंदा रह गया, बस यही कमाल समझिए. इस फिल्म को देखते वक्त पक्का सेंसर बोर्ड वाले भी सो गए होंगे. इसीलिए सिगरेट वाले इतने सीन्स बिना कट के पास हो गए. तुर्रा यह कि कोने में लिखा आ रहा था. स्मोकिंग किल्स. लगता है कि स्य...

फिल्‍म समीक्षा : रॉय

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  *1/2 डेढ़ स्‍टार -अजय ब्रह्मात्‍मज  बहुत कम फिल्में ऐसी होती हैं,जो आरंंभ से अंत तक दर्शकों को बांध ही न पाएं। विक्रमजीत सिंह की 'रॉय' ऐसी ही फिल्म है। साधारण फिल्मों में भी कुछ दृश्य, गीत और सिक्वेंस मिल जाते हैं,जिसे दर्शकों का मन बहल जाता है। 'रॉय' लगातार उलझती और उलझाती जाती है। हालांकि इसमें दो पॉपुलर हीरो हैं। रणबीर कपूर और अर्जुन रामपाल का आकर्षण भी काम नहीं आता। ऊपर से डबल रोल में आई जैक्लीन फर्नांडिस डबल बोर करती हैं। आयशा और टीया में बताने पर ही फर्क मालूम होता है या फिर रणबीर और अर्जुन के साथ होने पर पता चलता है कि वे दो हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बैकड्राप पर बनी 'रॉय' इंडस्ट्री की गॉसिप इमेज ही पेश करती है। फिल्म के एक नायक कबीर ग्रेवाल के 22 संबंध रह चुके हैं। उनके बारे में मशहूर है कि वे अपनी प्रेमिकाओं की हमशक्लों को फिल्मों की हीरोइन बनाते हैं। कुछ सुनी-सुनाई बात लग रही है न ? बहरहाल,'रॉय' कबीर और रॉय की कहानी है। रॉय चोर है और कबीर उसकी चोरी से प्रभावित है। वह उस पर दो फिल्में बना चुका है। तीसरी फिल्म की ...

जैक्‍लीन फर्नाडिस के मोहक नृत्‍य भाव

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टी सीरिज की विक्रमजीत सिंह निर्देशित 'रॉय' में जैक्‍लीन फर्नाडिस ने अनोखा नृत्‍य किया है। इस नृत्‍य की परिकल्‍पना कोरियोग्राफर अहमद खान ने की है। उन्‍होंने समुद्र के किनारे रेत पर उन्‍हें खास किस्‍म के बैले की भावपूर्ण मुद्राएं दीं। जैक्‍लीन का यह नृत्‍य फिल्‍म में 'बूंद बूंद' गाने में दिखेगा।