रिलीज के दिन तक बनती हैं फिल्में
-अजय ब्रह्मात्मज साल में आठ-दस शुक्रवार ऐसे होते ही हैं, जब तीन से ज्यादा फिल्में एक साथ रिलीज होती हैं। अब तो फिल्मों की रिलीज कम हो गई हैं। जरा सोचें, जब 300-400 फिल्में रिलीज होती थीं तो हफ्तों का क्या हाल होता होगा? इसी साल की बात करें तो 6 जनवरी को एक फिल्म प्लेयर्स रिलीज हुई, लेकिन 13 जनवरी को चार फिल्में एक साथ रिलीज हुई। 20 जनवरी का शुक्रवार खाली गया। कोई फिल्म ही नहीं थी। अगर 13 जनवरी की एक-दो फिल्में आगे खिसका दी जातीं तो नई फिल्म के नाम पर कुछ और दर्शक मिल सकते थे। इन दिनों बड़ी फिल्मों के अगले-पिछले हफ्ते में निर्माता-फिल्में रिलीज करने से बचते हैं। डर रहता है कि दर्शक नहीं मिलेंगे। लेकिन सच यही है कि दर्शकों को पसंद आ जाए तो लगान और गदर या गोलमाल और फैशन एक ही हफ्ते में रिलीज होकर खूब चली थीं। दरअसल, हिंदी फिल्मों के निर्माता फिल्मों की सही प्लानिंग नहीं कर पाते। मैं एक निर्देशक को जानता हूं। उनकी फिल्म की शूटिंग पिछले साल मार्च में समाप्त हो चुकी है, लेकिन उचित ध्यान न देने की वजह से फिल्म अभी तक पोस्ट प्रोडक्शन में अटकी हुई है। किसी को नहीं मालूम कि फिल्म कब रिलीज होगी।...