डायरेक्टर ही बनना था-रितेश बत्रा
गजेन्द्र सिंह भाटी के फिलम सिनेमा से साभार इस साल कान अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव- 2013 में इस फ़िल्म को बड़ी सराहना मिली है। वहां इसे क्रिटिक्स वीक में दिखाया गया। रॉटरडैम अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव के सिनेमार्ट- 2012 में इसे ऑनरेबल जूरी मेंशन दिया गया। मुंबई और न्यू यॉर्क में रहने वाले फ़िल्म लेखक और निर्देशक रितेश बत्रा की ये पहली फीचर फ़िल्म है। उन्होंने इससे पहले तीन पुरस्कृत लघु फ़िल्में बनाईं हैं। ये हैं ‘ द मॉर्निंग रिचुअल ’, ‘ ग़रीब नवाज की टैक्सी ’ और ‘ कैफे रेग्युलर , कायरो ’ । दो को साक्षात्कार के अंत में देख सकते हैं। 2009 में उनकी फ़िल्म पटकथा ‘ द स्टोरी ऑफ राम ’ को सनडांस राइटर्स एंड डायरेक्टर्स लैब में चुना गया। उन्हें सनडांस टाइम वॉर्नर स्टोरीटेलिंग फैलो और एननबर्ग फैलो बनने का गौरव हासिल हुआ। अब तक दुनिया की 27 टैरेटरी में प्रदर्शन के लिए खरीदी जा चुकी ‘ डब्बा ’ का निर्माण 15 भारतीय और विदेशी निर्माणकर्ताओं ने मिलकर किया है। भारत से सिख्या एंटरटेनमेंट , डीएआर मोशन पिक्चर्स और नेशनल फ़िल्म डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएफडीसी) और बाहर एएसएपी फिल...