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फिल्‍म समीक्षा - रईस

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फिल्म रिव्‍यू मोहरे हैं गैंगस्‍टर और पुलिसकर्मी रईस     -अजय ब्रह्मात्‍मज फिल्म के नायक शाह रुख खान हों और उस फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया तो हमारी यानी दर्शकों की अपेक्षाएं बढ़ ही जाती हैं। इस फिल्म के प्रचार और इंटरव्यू में शाह रुख खान ने बार-बार कहा कि ‘ रईस ’ में राहुल ( रियलिज्‍म ) और मेरी ( कमर्शियल ) दुनिया का मेल है। ‘ रईस ’ की यही खूबी और खामी है कि कमर्शियल मसाले डालकर मनोरंजन को रियलिस्टिक तरीके से परोसने की कोशिश की गई है। कुछ दृश्‍यों में यह तालमेल अच्छा लगता है, लेकिन कुछ दृश्‍यों में यह घालमेल हो गया है।     ‘ रईस ’ गुजरात के एक ऐसे किरदार की कहानी है, जिसके लिए कोई भी धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। ‘ बचपन में वह मां से पूछता भी है कि क्या यह सच है तो मां आगे जोड़ती है कि उस धंधे की वजह से किसी का बुरा न हो। ‘ रईस ’ पूरी जिंदगी इस बात का ख्‍याल रखता है। वह शराब की अवैध बिक्री का गैरकानूनी धंधा करता है, लेकिन मोहल्ले और समाज के हित में सोचता रहता है। यह विमर्श और विवाद का अलग विषय हो सकता है...

तोड़ी हैं अपनी सीमाएं -शाह रूख खान

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‘ रईस ’ ने कंफर्ट से बाहर निकाला : शाह रुख खान नए साल में शाह रुख खान अलग सज और धज के आ रहे हैं। वे दर्शकों को ‘ रईस ’, ‘ द रिंग ’ और आनंद एल राय की फिल्म की सौगात देंगे , जो उनके टिपिकल अवतार से अलग है। वे ऐसा क्यों और किस तरह कर पाए , पढें खुद उनकी जुबानी     -अजय ब्रह्मात्‍मज वे बताते हैं , ’ मैंने अमूमन ऐसे किया है। हालांकि लोगों को सामयिक घटनाक्रम ही नजर आता है। ‘ रईस ’ भी उसी की बानगी है। दरअसल ‘ चेन्नई एक्सप्रेस ’, ‘ हैप्पी न्यू ईयर ’ और ‘ दिलवाले ’ साथ आ गईं थीं। हालांकि नहीं आनी चाहिए थीं। वह इसलिए कि मैंने ‘ हैप्पी न्यू ईयर ’ के बाद ‘ रईस ’ की थी। इसकी शूटिंग खत्म हो रही थी और हम हैदराबाद से ‘ दिलवाले ’ शुरू करने वाले थे। तब हम उसकी सिर्फ बल्गारिया वाले हिस्से की शूटिंग करने को थे , कि तभी ‘ फैन ’ आ गई। वह 40 दिनों की शूटिंग थी। इस बीच ‘ रईस ’ आगे खिसक गई। मेरा घुटना चोटिल हो गया। ‘ रईस ’ का 14-15 दिनों का काम बाकी रह गया। ‘ फैन ’ वीएफएक्स के चलते 11 महीने टल गई। तो कायदे से ‘ रईस ’ हैप्पी न्यू ईयर ’ के बाद ही आती , पर अब आई है। लिहाजा लोगों को...