रोज़ाना : राष्ट्रीय भावना के गीत
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रोज़ाना राष्ट्रीय भावना के गीत -अजय ब्रह्मात्मज इन पंक्तियों को पढ़ने केपहले ही आप के कानों में राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत देशभक्ति के गानों की आवाज आ रही होगी। महानगर,शहर,कस्बा और गांव-देहात तक में गली,नुक्कड़ और चौराहों पर गूंज रहे गीत स्फूर्ति का संचार कर रहे होंगे। अभी प्रभात फेरी का चलन कम हो गया है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय हर सुबह गली-मोहल्लों में प्रभातफेरी की मंडलियां निकला करती थीं। सातवें दशक तक इसका चलन रहा। खास कर 15 अगस्त और 26 जनवरी को स्कूलों और शिक्षा संस्थाओं में इसका आयोजन होता था। तब तक देशभक्त्िा और आजादी का सुरूर कायम था। देश जोश के साथ उम्मीद में जी रहा था। बाद में बढ़ती गरीबी,असमानता और बदहाली से आजादी से मिले सपने चकनाचूर हुए और मोहभंग हुआ। धीरे-धीरे स्वतंत्रता दिवस औपचारिकता हो गई। अवकाश का एक दिन हो गया। याद करें तो हमारे बचपन में स्वतंत्रता दिवस के दिन स्कूल जाने का उत्साह रहता था। यह उत्साह आज भी है,लेकिन शिक्षकों और अभिभावकों की सहभागिता की कमी से पहले सा उमंग नहीं दिखता। केंद्र में राष्ट्रवादी सरकार के आने के बाद देशभ...