फिल्म समीक्षा : स्त्री
फिल्म रिव्यू स्त्री -अजय ब्रह्मात्मज अमर कौशिक निर्देशित ‘स्त्री’ संवादो,किरदारों और चंदेरी शहर की फिल्म है. इन तीनों की वजह से यह फिल्म निखरी है. सुमित अरोड़ा, राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी,अपारशक्ति खुराना,अभिषेक बनर्जी और चंदेरी शहर की खूबियों का अमर कौशिक ने रोचक मिश्रण और उपयोग किया है. हिंदी फिल्में घिसी-पिटी लकीर से किसी भी नई पगडंडी पर निकलती है तो नजारा और आनंद अलग होता है. ‘स्त्री’ प्रचार हॉरर कॉमेडी फिल्म के तौर पर किया गया है. यह फिल्म हंसाती और थोड़ा डराती है. साथ-साथ टुकड़ों में ही सही लेकर बदल रहे छोटे शहरों की हलचल,जरूरत और मुश्किलों को भी छूती चलती है. चंदेरी शहर की मध्यवर्गीय बस्ती के विकी .बिट्टू और जना जवान हो चुके हैं. विकी का मन पारिवारिक सिलाई के धंधे में नहीं लगता. बिट्टू रेडीमेड कपड़े की दुकान पर खुश नहीं है. जना पास कोई काम नहीं है. छोटे शहरों के ये जवान बड़े शहरों के बयान से बदल रहे हैं. बातचीत में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल कर धौंस जमाते हैं.विकी तो ‘चंदेरी के मनीष मल्होत्रा’ के नाम से मशहूर है. उनकी ठहरी और सुस्त जिंदगी में तब भूचा...