फिल्म समीक्षा : राकेट सिंह
बिजनेस के पाठ पढ़ाती राकेट सिंह.... -अजय ब्रह्मात्मज निर्माता आदित्य चोपड़ा फिर से शिमित अमीन और जयदीप साहनी के साथ फिल्म लेकर आ रहे हों तो उम्मीदों का बढ़ना स्वाभाविक है। तीनों ने 'चक दे इंडिया' जैसी फिल्म दी थी, जो आज मुहावरा बन चुकी है। इस बार उनके साथ शाहरुख खान नहीं हैं, लेकिन रणबीर कपूर तो हैं। लगातार दो फिल्मों की कामयाबी से उनके प्रशंसकों की संख्या बढ़ चुकी है। शिमित अमीन की फिल्मों में महिला किरदारों के लिए अधिक गुंजाइश नहीं रहती। वे दिखती तो हैं, लेकिन सपोर्टिव रोल में ही रहती हैं। राकेट सिंह-द सेल्समैन आफ द ईयर बिजनेस की नैतिकता पर फोकस करती है। दिल का साफ और खुद को तेज दिमाग समझने वाला हरप्रीत सिंह पढ़ने-लिखने में होशियार नहीं है। 38 प्रतिशत से बी काम की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह किसी तरह सेल्समैन की नौकरी खोज पाता है। इस नौकरी में उसकी नैतिकता और ईमानदारी आड़े आ जाती है। कंपनी के मालिक उसे जीरो घोषित कर देते हैं और उसकी ईमानदारी की सजा देते हैं। हरप्रीत हार नहीं मानता। वह युक्ति भिड़ाता है और उस कंपनी में रहते हुए अपनी कंपनी खड़ी कर लेता है। चोरी-छिपे चल रहे इस का...