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क्या खूब लौटे हैं अक्षय कुमार

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  -अजय ब्रह्मात्‍मज             सराहना और विवेचना से अधिक श्रद्धांजलि लिखने में सक्रिय फिल्म पत्रकारों ने अक्षय कुमार के करिअर का अंत कर दिया था। उनके अनुसार खिलाड़ी अक्षय कुमार की वापसी असंभव है। उनकी फिल्में लगातार पिट रही थीं। उसी दरम्यान एक-एक कर सारे लोकप्रिय स्टार की फिल्में 100 करोड़ क्लब में पहुंच रही थीं। सलमान खान , आमिर खान , अजय देवगन और शाहरुख खान के बाद सीधे रितिक रोशन , रणबीर कपूर , इमरान खान और इमरान हाशमी का जिक्र किया जाने लगा था। निरंतर असफलता के बावजूद अक्षय कुमार में कटुता नहीं आई थी। वे खिन्न जरूर रहने लगे थे। इस खिन्नता में उन्होंने अपने आलोचकों को आड़े हाथों लिया। अपनी बुरी फिल्मों की बुराई भी उन्हें पसंद नहीं आई। यह स्वाभाविक था। स्टार एक बार फिसलता है तो रुकने-थमने और फिर से उठने तक वह यों ही अपनी नाकामी पर चिल्लाता है। अक्षय कुमार अपवाद नहीं रहे।             एक अच्छी बात रही कि फिर से शीर्ष पर आने की बेताबी में उन्होंने ऊलजलूल फिल...

मेनस्ट्रीम सिनेमा को ट्रिब्यूट है ‘राउडी राठोड़'-संजय लीला भंसाली

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-अजय ब्रह्मात्‍मज अक्षय कुमार और सोनाक्षी सिन्हा की प्रभुदेवा निर्देशित ‘राउडी राठोड़’ के निर्माता संजय लीला भंसाली हैं। ‘खामोशी’ से ‘गुजारिश’ तक खास संवेदना और सौंदर्य की फिल्में निर्देशित कर चुके संजय लीला भंसाली के बैनर से ‘राउडी राठोड़’ का निर्माण चौंकाता है। वे इसे अपने बैनर का स्वाभाविक विस्तार मानते हैं।   - ‘राउडी राठोड़’ का निर्माण किसी प्रकार का दबाव है या इसे आपकी मुक्ति समझा जाए?  0 इसे मैं मुक्ति कहूंगा। मेरी सोच, मेरी फिल्म, मेरी शैली ही सब कुछ है ... इन से निकलकर अलग सोच, विषय और विचार से जुडऩा मुक्ति है। मैं जिस तरह की फिल्में खुद नहीं बना सकता, वैसी फिल्मों का बतौर प्रोड्यूसर हिस्सा बनना अच्छा लग रहा है। मैं हर तरह के नए निर्देशकों से मिल रहा हूं। ‘माई फ्रेंड पिंटो’, ‘राउडी राठोड़’,  ‘शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी’ ऐसी ही फिल्में हैं।   - आप अलग तरह के सिनेमा के निर्देशक रहे हैं। खास पहचान है आपकी। फिर यह शिफ्ट या आउटिंग क्यों? 0 ‘गुजारिश’ बनाते समय अनोखा अनुभव हुआ। वह फिल्म मौत के बारे में थी, लेकिन उसने मुझे जिंदगी की पॉजीटिव सोच दी...