दरअसल:ऑस्कर अवार्ड से आगे का जहां..
-अजय ब्रह्मात्मज हम सभी खुश हैं। एक साथ तीन ऑस्कर पाने की खुशी स्वाभाविक है। मौलिक गीत और संगीत के लिए रहमान को दो और ध्वनि मिश्रण के लिए रेसूल पुकुट्टी को मिले एक पुरस्कार से भारतीय प्रतिभाओं को नई प्रतिष्ठा और पहचान मिली है। इसके पहले भानु अथैया को रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी के लिए कास्ट्यूम डिजाइनर का ऑस्कर अवार्ड मिला था। सत्यजित राय के सिनेमाई योगदान के लिए ऑस्कर ने उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया था। इस तरह कुल पांच पुरस्कारों के साथ भारत ने अपनी मौजूदगी तो दर्ज कर दी है, लेकिन दरअसल, यहां एक प्रश्न यह उठता है कि क्या ऑस्कर पुरस्कार पाने के बाद भारतीय फिल्मों की तस्वीर बदलेगी? भारतीय फिल्में पिछले पचास सालों से इंटरनेशनल फेस्टिवल में पुरस्कार बटोरती रही हैं। हर साल दो-चार पुरस्कार किसी न किसी फिल्म के लिए मिल ही जाते हैं। अनेक फिल्मों को सराहना मिलती है और देश-विदेश में उनके प्रदर्शन भी किए जाते हैं, लेकिन एक सच यह भी है कि इन पुरस्कृत और सम्मानित फिल्मों में से अनेक फिल्में भारतीय सिनेमाघरों में प्रदर्शित ही नहीं हो पाती हैं! गौर करें, तो हम पाएंगे कि वितरकों और प्रदर्शकों ...