DDLJ चौदह साल बाद हॉल में देखनी
- रघुवेन्द्र सिंह दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे हम पहिली बार कब देखनी ? इ याद ना ह , लेकिन एतना पता ह कि जब ए फिलिम के हम पहिली बार देखनी तबसे इ हमार फेवरेट हो गइल। अब तक हम डीडीएलजे के टीवी पर अनगिनत बार देख भयल हंई , लेकिन हमरे मन में हमेसा अपने ए फेवरेट फिलिम के सिनेमा हॉल में न देख पउले क पछतावा अउर दुख रहे। डीडीएलजे जब रिलीज भइल रहे तब हम गांव में रहनीं। शहर में फिलिम देखे जाए क परमिशन हमहन के कब्बो ना मिले। सच कहीं त डीडीएलजे हमरे सहर में कब लगल रहे , हमके पते ना ह। काहें से कि तब हम छोट रहनीं। शुक्र हो , फिलिम रिपोर्टर के नौकरी के , जेकरे वजह से हमके इ फिलिम अब हॉल में देखले के सौभाग्य मिलल , और शुक्र हो मराठा मंदिर हॉल के करता-धरता लोगन के , जे चौदह साल बाद भी अपने इहां इ फिलिम के चलावत हवें। पन्द्रह अक्टूबर दो हजार नौ के दिने ऑफिस से डीडीएलजे पर इस्पेसल इस्टोरी करे क जिम्मा दिहल गइल। हम और हमार सहकर्मी मिलके इ फैसला कइनी जा कि पहिले हॉल में चलके फिलिम देखल जाइ ओकरे बाद इस्टोरी लिखल जाइ। एही बहाने हॉल में डीडीएलजे देखले क हमार पेंडिंग ख्वाहिश भी पूरी हो जाई। मराठा मंदिर म...