अपने मिजाज का सिनेमा पेश किया - सनी देओल
-अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्म जगत में 50 पार खानत्रयी का स्टारडम बरकरार है। सनी देओल अगले साल साठ के हो जाएंगे। इसके बावजूद वे अकेले अपने कंधों पर फिल्म की सफलता सुनिश्चित करने में सक्षम हैं। ’घायल वंस अगेन’ इसकी नवीनतम मिसाल है। - दर्शकों से मिली प्रतिक्रिया से आप कितने संतुष्ट हैं? इस फिल्म के बाद मेरी खुद की पहचान बनी है। वह पहले भी थी, लेकिन मेरे लिए अभी यह बनाना जरूरी था। कई सालों से मैं सिनेमा में कुछ कर भी नहीं रहा था। जो एक-दो फिल्मों में अच्छा काम किया, वे फिल्में भी अटकी हुई थी। उनका काम शुरू नहीं हो रहा था। इसके अलावा मैं जो भी कर रहा था, हमेशा एक सरदार ही था। कई सालों से लोग मुझे एक ही रूप में देख रहे थे। नॉर्मल रूप किरदार में नहीं देख पा रहे थे। यह सारी चीजें थी, जो मेरे साथ नहीं थी। मेरी इस फिल्म से अलग शुरुआत हुई है। हांलाकि मुझे इतनी बड़ी सफलता नहीं मिली है, पर मेरे लिए इतना काफी है। क्योंकि इस फिल्म से मेरे काम को सराहा जा रहा है। लोग मेरी वापसी को पसंद कर रहे हैं। -आप इस फिल्म के एक्टर सनी देओल की सफलता मानते हैं या डायरेक्टर सनी देओल की...