मानवीय संवेदनाओं की कहानी 'तलवार'
-अजय ब्रह्मात्म्ज मुंबई के पाली हिल में गुलजार का बोस्कियाना है। बेटी बोस्की के नाम पर उन्होंने अपने आशियाने का नाम बोस्कियाना रखा है। गुलजार और राखी की बेटी बोस्की ने कभी पर्दे पर आने की बात नहीं सोची। बोस्की बड़ी होकर मेघना कहलायीं। उन्होंने पर्दे के पीछे रहने और कहानी कहने में रुचि ली। पहली फिल्म ‘ फिलहाल ’ आई। कुछ समय घरेलू जिम्मेदारियोंं में गुजरा। घर-परिवार की आवश्यक जिम्मेदारी से अपेक्षाकृत मुक्त होने पर उन्होंने फिर से फिल्म निर्देशन के बारे में सोचा। इस बार उन्हें अपने पिता गलजार के प्रिय विशाल भारद्वाज का साथ मिला। ‘ तलवार ’ बनी और अब रिलीज हो रही है। मेघना टोरंटो फिल्म फस्टिवल से लौटी हैं। वहां इस फिल्म को अपेक्षित सराहना मिली है। मेघना अपने अनुभव बताती हैं, ’ जिंदगी के कुछ लमहे ऐसे होते हैं,जिन्हें आप हमेशा याद रखते हैं। वे यादगार हो जाते हैं। पहले ही सीन में इरफान एक लतीफा सुनाते हैं। इस लतीफे पर यहां की स्क्रीनिंग में किसी ने रिएक्ट नहीं किया था। ...