माई नेम इज.. सच्चाई से टकराव

-अजय ब्रह्मात्मज इस फिल्म से नए अभिनेता निखिल द्विवेदी का करियर शुरू हुआ है। निखिल अपनी पहली फिल्म के लिहाज से संतुष्ट करते हैं। उनमें पर्याप्त संभावनाएं हैं। फिल्म इंडस्ट्री के बाहर से आए अभिनेता की एक बड़ी दिक्कत पर्दे पर आकर्षक दिखने की होती है, चूंकि उसकी ग्रूमिंग वैसी नहीं रहती, इसलिए कैमरे से दोस्ती नहीं हो पाती। निखिल में भी पहली फिल्म का अनगढ़पन है। अनाथ एंथनी (निखिल) को सिकंदर भाई (पवन मल्होत्रा) का सहारा मिलता है। वे उसे फादर ब्रेगैंजा (मिथुन चक्रवर्ती) के पास शिक्षा के लिए भेजते हैं। एंथनी बड़ा होकर बारटेंडर बन जाता है। वह जिस पब में काम करता है, उसके मालिकों में सिकंदर भाई भी हैं। एंथनी की ख्वाहिश एक्टर बनने की है। उसकी ख्वाहिश को मूर्ति (सौरभ शुक्ला) का समर्थन मिलता है। उसे एक फिल्म मिलती है। फिल्म की असिस्टेंट डायरेक्टर रिया से एंथनी को प्यार हो जाता है। कहानी मोड़ लेती है, जब फिल्म में शेक्सपियर के नाटक जूलियस सीजर से मिलती-जुलती स्थिति बनती है। एंथनी एक घटना का गवाह है, अगर वह सच बता दे तो सिकंदर भाई समेत सारे अपराधी पकड़े जाएंगे और हो सकता है कि उसका फिल्मी करियर ही ...