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फिल्‍म समीक्षा : एनिमी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  मुंबई के पुलिस विभाग के चार अधिकारियों को जिम्मेदारी मिली है कि वे अंडरव‌र्ल्ड के चल रहे गैंगवार को समाप्त कर शहर में अमन-शांति बहाल करें। वे अपनी शैली में इस उद्देश्य में एक हद तक सफल होते हैं, लेकिन दिल्ली से आए सीबीआई के आला अधिकारी की जांच-पड़ताल से कुछ और बातें पता चलती हैं। राजनीति और अंडरव‌र्ल्ड के तार जुड़ते दिखाई पड़ते हैं। राजनीति, अपराध और मुंबई की पृष्ठभूमि पर अनेक फिल्में बन चुकी हैं। आशु त्रिखा की नई पेशकश 'एनिमी' कुछ नए ट्विस्ट और टर्न के साथ आई है। उन्होंने बार-बार देखी जा चुकी कहानियों में ही नवीनता पैदा करने कोशिश की है। कुछ नए दृश्य गढ़े हैं। अनुभवी अभिनेताओ को मुख्य किरदार सौंपा है। ड्रामा और एक्शन का स्तर बढ़ाया है। फिर भी 'एनिमी' अपनी सीमाओं से निकल नहीं पाती। इस फिल्म में हालांकि अनेक किरदार हैं, लेकिन गौर करें तो मुख्तार के इर्द-गिर्द ही कहानी चलती है। मुख्तार की भूमिका में जाकिर हुसैन ने अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। वे उम्दा अभिनेता हैं। मिले हुए अच्छे, साधारण और बुरे मौके में भी वह कुछ नया कर जाते हैं। उनके...

फिल्‍म समीक्षा : हांटेड

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0 हांटेड हिंदी में बनी पहली 3डी फिल्म है। 3ड ी की वजह से दृश्यों में गहराई नजर आने लगती है। मसलन अगर दो दीवारें हों तो आगे और पीछे की दीवार के बीच की दूरी भी समझ में आती है। इसकी वजह से फिल्म देखने का आनंद बढ़ जाता है। 3डी एक तकनीक है, जिसका इस्तेमाल फिल्म शूट करते समय या पोस्ट प्रोडक्शन में भी किया जा सकता है। हांटेड के दृश्यों की कल्पना 3डी तकनीक को ध्यान में रख कर की गई है। 0 हिंदी फिल्मों के दर्शकों के लिए 3 डी का मतलब फिल्म देखते समय यह एहसास होना भी है कि पर्दे से कोई चीज निकली और सीधे उन तक आई। जैसे तीर चलें तो दर्शक बचने के लिए अपना सिर झटक लें। 2डी से 3डी बनाई गई फिल्मों में एक दो ऐसे दृश्य रखे जाते थे। हांटेड में ऐसे कई दृश्य हैं, कई बार तो लगता है कि पर्दे से बढ़ा हाथ हमारे चेहरे को छू लेगा। 0 हांटेड का आनंद लेने के लिए जरूरी है कि आप भूत-प्रेत और आत्माओं के साथ हिंदी फिल्मों पर भी विश्वास करते हों। अगर वैज्ञानिक सोच, तर्क और कार्य-कारण संबंध खोजेंगे तो हॉरर फिल्मों की फंतासी और हांटेड का मजा किरकिरा हो जाएगा। हॉरर फिल्में पूरी तरह से काल्पनिक और अतार्किक होती ह...