दरअसल : क्रिस्टोफर नोलन से अभिभूत,मगर...
दरअसल... क्रिस्टोफर नोलन से अभिभूत,मगर... -अजय ब्रह्मात्मज पिछले वीकएंड में ‘द डार्क नाइट’ ‘इंसेप्शन’,’इंटरस्टेलर’, ‘मेमेंटो’ और ‘डनकर्क’ के निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन भारत आए थे। मुंबई के पड़ाव में उनकी दो फिल्मों (फिल्म से) के शो हुए। इन दिनों अधिकांश थिएटर में डिजिटल प्रोजेक्शन ही होते हैं। पुराने एनालॉग प्रोजेक्टर लगभग हटा दिए गए हैं,क्योंकि फिल्मों पर फिल्में बननी बंद हो गई हैं। हर निर्देशक और कैमरामैन डिजिटल शूट में सुविधा महसूस करने लगा है। यह किफायती और आसान भी है। पीछे पलट कर देखें तो 2010 तक भारत में भी सारी फिल्में फिल्म पर ही शूट होती थीं। आंकड़ों के मुताबिक 2010 में 1274 फिल्में फिल्म पर शूट हुईं। डिजिटल तकनीक के प्रसार के बाद 2013-14 में केवल 188 फिल्में ही फिल्म पर शूट हुईं और 1178 फिल्मों ने डिजिटल का सहारा लिया। 2016-17 तक डिजिटल की निर्भरता ऐसी बढ़ गई कि 1986 फिल्में डिजिटल पर शूट हुईं और केवल एक फिल्म ही फिल्म पर शूट हुई। इस पृष्ठभूमि में क्रिस्टोफर नोलन की यह वकालत की फिल्में फिल्म पर ही शूट हो...खास मायने रखती हैं। ...