अब तीसरा शेड भी है सामने-राजपाल यादव
-अजय ब्रह्मात्मज ‘भोपाल : ए प्रेयर फॉर रेन’ की प्लानिंग 2010 में ही हो गई थी। मुंबई में 10-12 कलाकारों के पास इसकी स्क्रिप्ट गई। सभी मेरा किरदार मांग रहे थे। दिलीप की भूमिका चाहते थे। इसकी टीम में अनेक देशों के तकनीशियन शामिल थे। हैदराबाद में सेट लगा। यूनियन कार्बाइड का सेट लगाया गया था। मुझे लग तो गया था कि कोई बड़ी फिल्म बन रही है,लेकिन आश्वस्त नहीं था। इस फिल्म के दरम्यान मुझे हालीवुड की कुछ और फिल्में मिलीं। उनमें छोटे-मोटे किरदार थे। आखिरकार मैं इस फिल्म का इंतजार करता रहा। मैंने अभी तक 150 से अधिक फिल्में कर ली हैं। 20-21 अभी अंडर प्रोडक्शन हैं। लगातार काम कर रहा हूं। लखनऊ के बीएनए और दिल्ली के एनएसडी से प्रशिक्षित होकर मुंबई आया तो कहां अंदाजा था कि मेरा ऐसा सफर होगा। 27 साल पहले स्टेज पर तीन पंक्तियां बोलने का मौका मिला था। शाहजहांपुर में स्टेज पर पहली बार चढ़ा और दर्शकों की तालियों और तारीफ ने ऐसा प्रेरित किया कि कदम इस तरफ चल पड़े। मैंने करीब से संघर्ष का अनुभव किया है। ‘भोपाल : ए प्रेयर फॉर रेन’ में दीपक का संघर्ष है। भोपाल के हादसे के बारे मे...