बढ़ रही है सतही समझ
बढ़ रही है सतही समझ -अजय ब्रह्मात्मजं निश्चित ही सार्वजनिक हस्तियों की बड़ी जिम्मेदारियां होती हैं। किसी भी क्षेत्र में सफलता और लोकप्रियता हासिल कर चुकी हस्तियां रोजाना ऐसी जिज्ञासाओं से दो-चार होती हैं। विभिन्न किस्म के सामाजिक, राजनीतिक और व्यवहारिक मुद्दों पर उनसे सवाल पूछे जाते हैं। अपेक्षा रहती है कि वे हर सवाल का सटीक और प्रेरक जवाब देंगे। देश के सामाजिक जीवन में उनके हस्तक्षेप के लिए हम तैयार रहते हैं और उनकी हर पहल का स्वागत करते हैं। इस संदर्भ में हम एक मूल बात भूल जाते हैं कि फिल्म का पॉपुलर अभिनेता या सफल निर्देशक होना बिल्कुल अलग बात है और सामाजिक मुद्दों की समझ रखना बिल्कुल दूसरी बात है। मेरा निजी अनुभव है कि बेहतर अभिनेता निजी जिंदगी में हमेशा उतने ही बेहतर इंसान नहीं होते। उनमें अनेक प्रकार की खामियां और विसंगतियां रहती हैं। कई बार उनके विचार और व्यवहार में बड़ा फर्क नजर आता है। आजादी के बाद से हमारे राजनीतिक और सामाजिक जीवन में मूल्यों का हास हुआ है। सारे मानक और स्तर लगातार नीचे खिसक रहे हैं। साधारण को श्रेष्ठ मानने और कहने का फैशन चल गया है। अभी औसत ही विशिष