फिल्म समीक्षा : पद्मावत
फिल्म समीक्षा : पद्मावत ‘मी टू ’ के दौर में ‘जौहर’ का औचित्य -अजय ब्रह्मात्मज ‘प्रस्तुत फिल्म ‘पद्मावत’ मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखे गए महाकाव्य ‘पद्मावत’ से प्रेरित है,जिसे प्रचलित रूप से काल्पनिक माना जाता है।फिल्म में दर्शाए गए सभी स्थल,किरदार,घटनाएं,जगह,भाषाएं,नृत्य,पहनावे इत्यादि ऐतिहासिक रूप से सटीक या वास्तविक होने का कोई दावा नहीं करते। हम किसी भी सूरत में किसी भी इंसान,समंदाय,समाज उनकी संस्कृति,रीति-रिवाजों उनकी मान्यताओं,परंपराओं या उनकी भावनाओं का हानि पहुंचाना या उनकी उपेक्षा करना नहीं चाहते। इस फिल्म का उद्देश्य सती या ऐसी किसी भी प्रथा को बढ़ावा देना नहीं है।‘ इस लंबे डिस्क्लेमर के बाद फिल्म संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ पर्दे पर आरंभ होती है। फिल्म के पर्दे पर आने के पहले और देश में इस फिल्म को लकर विवादा और बवाल मचा हुआ है। करणी सेना नामक एक समूह कई महीनों से इस फिल्म पर पाबंदी लगाने की मांग कर रही है। उन्होंने चेतावनियां दी हैा कि अगर फिल्में राजपूती आन,बान और शान के खिलाफ कोई बात हुई तो वे थिएटर में उपद्रव करें...