Posts

Showing posts with the label प्रेम

प्रेम और विवाह दुर्लभ संबंध है: सोनू सूद -ईशा कोप्पिकर

Image
पंजाब के छोटे से शहर मोगा के सोनू सूद और एक विवाह ऐसा भी के भोपाल के प्रेम में समानताएं देखी जा सकती हैं। सोनू मोगा से एक्टर बनने निकले और प्रेम सिंगर बनने निकलता है। छोटे शहरों से आए युवकों को महानगरों में आने के बाद एहसास होता है कि अपने बड़े सपनों के लिए वे छोटे हैं। फिर भी छोटे शहरों में रिश्तों की जो अहमियत है, वह बड़े शहरों में नहीं है। ईशा कोप्पिकर मुंबई में पली-बढ़ी हैं। डाक्टर के परिवार से आई ईशा कोप्पिकर आज भी मध्यवर्गी मूल्यों में यकीन करती हैं। उनकी सोच और योजनाओं में उसकी झलक मिलती है। प्रेम, विवाह और समर्पण को वह बहुत जरूरी मानती हैं। उनके घर में हमेशा परस्पर प्रेम को तरजीह दी गयी है। ईशा एक विवाह ऐसा भी में चांदनी के रूप में प्रेम और वैवाहिक संबंधों को प्राथमिकता देती है। प्रेम के बारे में आपकी क्या धारणा है? सोनू सूद: प्रेम के बिना जिंदगी मुमकिन नहीं है। मां-बाप के प्रेम से हमारी जिंदगी जुड़ी होती है। आप को ऐसा लगता है कि अपने प्रियजनों के लिए कुछ करें। एक विवाह ऐसा भी में प्रेम को नए ढंग से चित्रित किया गया है। सुख में तो हम साथ रहते ही हैं। दुख में साथ रहें तो प्रेम का म...

मुहब्बत न होती तो कुछ भी न होता-महेश भट्ट

यह दुनिया प्रेम के विभिन्न प्रकारों से बनी है। मां का अपने शिशु से और शिशु का मां से प्रेम, पुरुष का स्त्री से प्रेम, कुत्ते का अपने मालिक से प्रेम, शिष्य का अपने गुरु या उस्ताद से प्रेम, व्यक्ति का अपने देश और लोगों से प्रेम और इंसान का ईश्वर से प्रेम आदि। प्रेम का रहस्य वास्तव में मृत्यु के रहस्य से गहरा होता है। मानव जीवन के इस महत्वपूर्ण तत्व और मानवीय व्यापार एवं व्यवहार में इसके महत्व के बारे में कुछ बढाकर कहने की जरूरत नहीं है। हम लोगों में से अधिकतर या तो प्रेम जाहिर करते हैं या फिर किसी की प्रेमाभिव्यक्ति पाते हैं। लेकिन यह प्रेम है क्या जो हम सभी को इतनी खुशी और गम देता है? एक आलेख में प्रेम के संबंध में इन सभी के विचार और दृष्टिकोण को समेट पाना मुश्किल है। मैं हिंदी फिल्मों की अपनी यादों के प्रतिबिंबों के सहारे प्रेम के रूपों को रेखांकित करने की कोशिश करूंगा। माता-पिता, कवि, पैगंबर, उपदेशक, मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक अपनी-अपनी तरह से प्रेम को समझते हैं। हिंदी फिल्मकारों की भी अपनी समझ है। मदर इंडिया का प्रेम समय की धुंध हटाने के साथ मैं खुद को एक सिनेमाघर में पाता हूं। एक श्वे...