फिल्म समीक्षा : जो डूबा सो पार
-अजय ब्रह्मात्मज प्रवीण कुमार की प्रेमकहानी का परिवेश बिहार का है। एक ट्रक ड्रायवर का बेटा किशु अपनी बदमाशियों के कारण स्कूल से निकाल दिया जाता है। पिता चाहते हैं कि वह कम से कम ड्राइविंग और ट्रक चलाने के गुर सीख ले। बेटे का मन पिता के साथ काम करने से अधिक दोस्तों के साथ चकल्लस करने में लगता है। इसी बीच कस्बे में एक विदेशी लड़की सपना आती है। सपना को देखते ही किशु उसका दीवाना हो जाता है। किशु का अवयस्क प्रेम वास्तव में एक आकर्षण है। वह सपना का सामीप्य चाहता है। इसके लिए वह पिता की डांट और सपना के चाचा के गुंडों के हाथों पिटाई खाता है। स्मार्ट किशु फिर भी हिम्मत नहीं हारता। वह अपने वाकचातुर्य से सपना के करीब आता है। अपने प्रेम का इजहार करने के दिन ही उसे पता चलता है कि सपना का एक अमेरिकी ब्वॉय फ्रेंड है। कहानी टर्न लेती है। सपना का अपहरण हो जाता है। किशु अपने दोस्तों के साथ जान पर खेल कर सपना की खोज करता है। इस प्रक्रिया में पुलिस और किडनैपर के रिश्ते बेनकाब होते हैं। प्रवीण कुमार ने परिवेश अलग चुना है। वे जिसे बिहार बताते हैं, वह हरगिज बिहार नहीं लगता। मधुबनी पेंटिंग्स पर रिसर्च कर रही...