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फिल्‍म समीक्षा : इसक

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असंगत प्रेम की असंगत कहानी -अजय ब्रह्मात्‍मज     मनीष तिवारी की ‘इसक’ देखते समय और देख कर निकलने के बाद भी याद नहीं रहता कि फिल्म का मुख्य विषय और उद्देश्य क्या था? प्रचार और घोषणा के मुताबिक बनारस की पृष्ठभूमि में यह शेक्सपियर के ‘रोमियो जूलियट’ पर रची गई फिल्म है। कुछ दृश्यों में ही यह फिल्म रोमांटिक लगी है। कभी दो परिवारों के कलह तो कभी बिजनेश को लेकर चल रही छल-कपट ़ ़ ़इतना ही नहीं बनारस में दक्षिण भारतीय नक्सल नेता के नेतृत्व में लड़ा जा रहा आंदोलन ़ ़ क़ुल मिलाकर ‘इसक’ एक ऐसी खिचड़ी बन गई है, जो हर कौंर में पिछले स्वाद को कुचल देती है। कमजोर फिल्में निराश करती हैं, लेकिन ‘इसक’ तो हताश करती है। क्या मिले हुए मौके को ऐसे गंवाया जा सकता है?     समस्या यह है कि अभी ठीक ढंग से स्थापित नहीं हो सके विशाल भारद्वाज और अनुराग कश्यप की शैलियों की नकल में मनीष तिवारी अपनी पहली फिल्म ‘दिल दोस्ती एटसेट्रा’ की सादगी और गहराई भी भूल गए हैं। न तो यह फिल्म इश्क की दास्तान है और न ही दो परिवारों के झगड़े की कहानी ़ ़ ़ दाल-भात में मूसलचंद बने रवि किशन के किरदार की ...

फिल्‍म समीक्षा :एक दीवाना था

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-अजय ब्रह्मात्‍मज देश की भाषायी विविधता का एक बड़ा लाभ है कि किसी एक भाषा में फिल्म सफल हो जाए तो दूसरी भाषाओं में उसे डब या रीमेक कर आप अपनी सफलता दोहरा सकते हैं। पैसे भी कमा सकते हैं। सफल फिल्म को अनेक भाषाओं में बनाना क्रिएटिविटी से अधिक बिजनेस से जुड़ा मामला है। बहरहाल, एक दीवाना था पहले तमिल में बनी, फिर तेलुगू और अब हिंदी में आई है। भाषा बदलने के साथ किरदारों के नाम और पहचान में छोटा बदलाव भर किया गया है। बाकी फिल्म ओरिजनल के आसपास ही है। एक दीवाना था में नए एक्टर? लिए गए हैं - प्रतीक और एमी जैक्सन। लेखक-निर्देशक गौतम मेनन ने हिंदी रीमेक में मनु ऋषि का सहयोग लिया है। उन्होंने संवादों में हिंदी और दिल्ली का पंच दिया है, जबकि तेरा दीवाना था का संदर्भ मुंबई और केरल से है। हीरो-हीरोइन के आवास की बायीं तरफ अमिताभ बच्चन का बंगला है। मतलब यह जुहू का इलाका है। यहां फिल्म स्टारों के बंगलों के अलावा कितने बंगले बचे हैं? ऊपर से जिनके मालिक मलयाली ईसाई हों और उनके किरदार मराठी कोंकणस्थ ब्राह्मण हो? वास्तविक सी लगने वाली फिल्म में भी वास्तविक सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए। गौतम मेनन ...

प्रेम-रोमांस : विनाइथंडी वरुवाया ( वीटीवी )

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शालिनी मलिक ने तमिल फिल्‍म विनाइथंडी वरुवाया ( वीटीवी ) के बारे में लिखा है। शालिनी मास कम्‍युनिकेशन की पढ़ाई कर रही हैं। उनसे shalini14chaudhry@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं। यहाँ पर विदेशी फिल्मों के बीच मैं एक भारतीय फिल्म विनाइथंडी वरुवाया ( वीटीवी ) की चर्चा करना चाहूंगी। वेलेंनटाइन डे से तीन दिन बाद एक फिल्म आ रही है एक दीवाना था,जिसमें प्रतीक और एमी जैक्‍सन दिखेंगे। मूलरुप से तमिल भाषा की यह फिल्म विनाइथंडी वरुवाया ( वीटीवी ) अब तक तीन भाषाओं में बन चुकी है, हर भाषा में अलग भाव व्यक्त करती.... पर कहते है कि जो बात असल में होती है वह नकल में नही आती। फिल्म वही है कहानी भी वही है पर जो बात वीटीवी की जेसी (नायिका) में है ,वह निराली है। आप इस जेसी और कार्तिक (नायक) की कहानी में खो जाते है। जैसा कि फिल्म का नाम है विनाइथंडी वरुवाया जिसका अर्थ है क्या तुम आसमानों को पार करोगी और आओगी... फिल्म के नाम में उसकी पूरी कहानी सिमटी हुई है। कहानी एक कट्टर ईसाई प रिवार की लड़की जेसी और तमिल हिन्दू लड़के कार्तिक के प्यार की है। कार्तिक का प्यार बंदिशो को बहा ले जाता है,पर जेसी अपने प्य...

फिल्‍म समीक्षा : धोबी घाट

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-अजय ब्रह्मात्‍मज मुंबई शहर फिल्मकारों को आकर्षित करता रहा है। हिंदी फिल्मों में हर साल इसकी कोई न कोई छवि दिख जाती है। किरण राव ने धोबी घाट में एक अलग नजरिए से इसे देखा है। उन्होंने अरूण, शाय, मुन्ना और यास्मिन के जीवन के प्रसंगों को चुना है। खास समय में ये सारे किरदार एक-दूसरे के संपर्क और दायरे में आते हैं। उनके बीच संबंध विकसित होते हैं और हम उन संबंधों के बीच झांकती मुंबई का दर्शन करते हैं। किरण ने इसे मुंबई डायरी भी कहा है। मुंबई की इस डायरी के कुछ पन्ने हमारे सामने खुलते हैं। उनमें चारों किरदारों की जिंदगी के कुछ हिस्से दर्ज हैं। किरण ने हिंदी फिल्मों के पुराने ढांचे से निकलकर एक ऐसी रोमांटिक और सामाजिक कहानी रची है, जो ध्यान खींचती है। एकाकी अरूण किसी भी रिश्ते में बंध कर नहीं रहना चाहता। उसकी फोटोग्राफर शाय से अचानक मुलाकात होती है। दोनों साथ में रात बिताते हैं और बगैर किसी अफसोस या लगाव के अपनी-अपनी जिंदगी में मशगूल हो जाते हैं। पेशे से धोबी मुन्ना की भी मुलाकात शाय से होती है। शाय मुन्ना के व्यक्तित्व से आकर्षित होती है। वह उसे अपना एक विषय बना लेती है। उधर मुन्ना खुद को शाय...