नसीम बानो के साथ होली - मंटो
सआदत हसन मंटो के मीना बाजार से होली का एक प्रसंग। यह प्रसंग परी चेहरा नसीम बानो से लिया गया है। यहां नसीम के बहाने मंटो ने होली का जिक्र किया है। फिल्मों पर होली पर लिखते समय हम सभी राज कपूर की आर के स्टूडियो से ही आरंभ करते हैं। उम्मीद है अगली होली में फिल्मिस्तान और एस. मुकर्जी का भी उल्लेख होगा। ....... यह हंगामा होली का हंगामा था। जिस तरह अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की एक ‘ ट्रेडीशन ’ बरखा के आगाज पर ‘ मूड पार्टी ’ है। उसी तरह बम्बे टॉकीज की एक ट्रेडीशन होली की रंग पार्टी थी। चूंकि फिल्मिस्तान के करीब-करीब तमाम कारकुन बाम्बे टॉकीज के महाजिर थे। इसलिए यह ट्रेडीशन यहां भी कायम रही। एस. मुकर्जी उस रंग पार्टी के रिंग लीडर थे। औरतों की कमान उनकी मोटी और हंसमुख बीवी (अशोक की बहन) के सिपुर्द थी। मैं शाहिद लतीफ के यहां बैठा था। शाहिद की बीवी इस्मत (चुगताई) और मेरी बीवी (सफिया) दोनों खुदा मालूम क्या बातें कर रही थीं। एकदम शोर बरपा हुआ। इस्मत चिल्लाई। ‘ लो सफिया वह आ गये...लेकिन मैं भी... ’ ...