फिल्म समीक्षा : बाजीराव मस्तानी
-अजय ब्रह्मात्मज कल्पना और साक्ष्य का भव्य संयोग यह कहानी उस समय की है,जब मराठा साम्राज्य का ध्वज छत्रपति साहूजी महाराज के हाथों में लहरा रहा था और जिनके पेशवा थे बाजीराव वल्हाड़। तलवार में बिजली सी हरकत और इरादों में हिमालय की अटलता,चितपावन कुल के ब्राह्मनों का तेज और आंखों में एक ही सपना... दिल्ली के तख्त पर लहराता हुआ मराठाओं का ध्वज। कुशल नेतृत्व,बेजोड़ राजनीति और अकल्पनीय युद्ध कौशल से दस सालों में बाजीराव ने आधे हिंदुस्तान पर अपना कब्जा जमा लिया। दक्षिण में निजाम से लेकर दिल्ली के मुगल दरबार तक उसकी बहादुरी के चर्चे होने लगे। इस राजनीतिक पृष्ठभूमि में रची गई संजय लीला भंसाली की ऐतिहासिक प्रेमकहानी है ‘ बाजीराव मस्तानी ’ । बहादुर बाजीराव और उतनी ही बहादुर मस्तानी की यह प्रेमकहानी छोटी सी है। अपराजेय मराठा योद्धा बाजीराव और बुंदेलखंड की बहादुर राजकुमारी मस्तानी के बीच इश्क हो जाता है। बाजीराव अपनी कटार मस्तानी को भेंट करता है। बुंदेलखंड की परंपरा में कटार देने का मतलब शा...