बहुमत की सरकार की आदर्श फिल्म: दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे 3
विनीत कुमार ने आदित्य चोपड़ा की फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे पर यह सारगर्भित लेख लिखा है। उनके विमर्श और विश्लेषण के नए आधार और आयाम है। चवन्नी के पाठकों के लिए उनका लेख किस्तों में प्रस्तुत है। आज उसका तीसरा और आखिरी अंश... -विनीत कुमार फेल होना और पढ़ाई न करना हमारे खानदान की परंपरा है..भटिंडा का भागा लंदन में मिलिनयर हो गया है लेकिन मेरी जवानी कब आयी और चली गयी, पता न चला..मैं ये सब इसलिए कर रहा हूं ताकि तू वो सब कर सके जो मैं नहीं कर सका..- राज के पिता Xxx xxxxxx मुझे भी तो दिखा, क्या लिखा है तूने डायरी में. मुझसे छिपाती है, बेटी के बड़ी हो जाने पर मां उसकी मां नहीं रह जाती. सहेली हो जाती है- सिमरन की मां. फिल्म के बड़े हिस्से तक सिमरन की मां उसके साथ वास्तव में एक दोस्त जैसा व्यवहार करती है, उसकी हमराज है लेकिन बात जब परिवार की इज्जत और परंपरा के निर्वाह पर आ जाती है तो “ मेरे भरोसे की लाज रखना ” जैसे अतिभावनात्मक ट्रीटमेंट की तरफ मुड़ जाता है. ऐसा कहने औऱ व्यवहार करने में ए