दरअसल : सीरियल किसर की सीरियस राइटिंग
-अजय ब्रह्मात्मज फिल्मों और फिल्मी हस्तियों के बारे में प्रचलित धारणाओं पर चलें तो ज्यादातर मूढ़,आत्मलिप्त,मतलबी और देश - समाज से कटे व्यक्ति होते हैं। मीडिया में उनकी जीवन शैली पर तो पन्ने और स्पेस भरे जाते हैं,लेकिन क्रभी उनके जीवन दर्शन पर कोई बात नहीं होती। उनकी कामयाबी हमें आधारहीन लगती है। इस देश की भाग्यवादी जनता और आम दर्शकों के बीच किस्मत,संयोग और ईश कृपा के किस्से फैलाए जाते हैं। उनकी मेहनत को नजरअंदाज किया जाता है। पूरी कोशिश यही रहती है कि उनकी सफलता लौकिक न लगे। अगर ऐसा अहसास होगा कि लगन और परिश्रम से उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं तो फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश की कोशिशें बढ़ जाएंगी। जाहिर सी बात है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के स्थापित और सुरक्षित सदस्यों को ‘ बाहरी ’ प्रतिभाओं का आगमन अच्छा नहीं लगता। यहां तक कि फिल्म इंडस्ट्री से आई प्रतिभाओं की सफलता को भी उनके पूर्वजों और परिवारों से जोड़कर यह बताने की कोशिश की जाती है कि मुश्किल ही अपनी जगह और पहचान बनाना। इस पृष्ठभूमि में चर्चित अभिनेता इमरान हाशमी की किताब ‘ द किस ऑफ लाइफ ’ एक ...